Tuesday 28 April, 2009

' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' में संवेदना और उत्कृष्ट लेखन शैली का आनंद मिला

Photo Harish:
अशोक जी
नमस्कार
भले ही आप इंडिया से बाहर हों लेकिन आपकी रचनाओं के मध्यम से आपको याद करता रहता हूँ । '
लड़कियाँ
छूना चाहती हैं आसमान ' पुस्तक पढ़ी .
सोच
रहा था कि कभी कभार कुछ कविताएँ पढ़ लिया करूंगा , लेकिन एक ही बैठक में पता ही नहीं चला कि कब पुस्तक कि अन्तिम रचना गई .
वर्षों
बाद किसी पुस्तक में इतनी संवेदना और उत्कृष्ट लेखन शैली का आनंद मिला .
पिछले
काफ़ी समय से कई पुस्तकों की समीक्षा करता रहा हूं , कुछ अब भी घर पर रखी हैं , लेकिन उनकी समीक्षा करने का मन नहीं करता , लगता है जैसे कविता में कुछ अच्छा तलाशना होगा .
ऐसी
तलाश किसी भी कृति के लिए शुभ संकेत नहीं होतामुझे जो चाहिए था वो बिना तलाशे आपकी पुस्तक में मिल गया
पुस्तक भेजने के लिए शुक्रिया नहीं कहूँगाइससे आपके मेरे बीच की सम्बंधात्मकता को चोट पहुँचेगी
इतनी बेहतर पुस्तक लिखने के लिए हार्दिक बधाई
अगली पुस्तक की प्रतीक्षा रहेगी ,

सादर ,
डॉ . हरीश अरोड़ा

Friday 24 April, 2009

अशोक लव ने नारी की दुर्गम यात्रा को स्वर दिया है

'डॉ आदर्श बाली सुप्रसिद्ध साहित्यकार , समाजसेवी और शिक्षाविद हैं । 'कुरुक्षेत्र संदेश' में प्रकाशित 'लड़कियां छूना चाहती हैं आसमान ' कविता पर उनके विचार पत्रिका के अप्रैल अंक में प्रकाशित हुए हैं।
* कुरुक्षेत्र संदेश ,संपादक - श्रीप्रकाश मिश्र ,सन्निहित सरोवर ,कुरुक्षेत्र -136118

Thursday 23 April, 2009

पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम एस लिब्राहन द्वारा अशोक लव सम्मानित


'राहत इंटरनेशनल' संस्था का अप्रैल २००९ को पंचायत भवन अंबाला में ' रेजिंग डे ' समारोह था.गत वर्ष इसी संस्था द्वारा साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए समानित किया गया था
यह समारोह भिन्न थाइसमें विशिष्ट - अतिथि के रूप में आमंत्रित थाअयोध्या कमीशन के चेयरमैन पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम एस लिब्राहन मुख्य - अतिथि थेअंबाला के कमिश्नर श्री मोहिंदर कुमार ने अध्यक्षता करनी थीउनकी अनुपस्थिति में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आर्ट और भाषा संकाय के डीन प्रोफ़ेसर एन एस कौशल ने अध्यक्षता कीअन्य विशिट - अतिथि थे - डॉ नीलम शांगला ( एडीशनल जिला और सेशन जज ),सरदार लाभ सिंह अहलुवालिया (चेयरमैन-२४ न्यूज़ चैनल ) और श्री धनिंदर कुमारसामाजिक कार्यों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों के मध्य की उपस्थिति अविस्मरणीय और प्रेरक थीसुखद लगा
अपने लिए सब जीते हैं. दूसरों के लिए जीने वाले अलग ही मिट्टी के बने होते हैं .




चार अप्रैल को अंबाला जाने का सुअवसर मिला। श्री जे पी मेहता ने बार-बार आने का आग्रह किया था । वे सहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित भी करना चाहते थे । यह उनका स्नेह-भाव है।
श्री जे पी मेहता मोहयाल सभा अम्बाला के प्रेजिडेंट हैं , जनरल मोहयाल सभा के सेक्रेटरी हैं इसके साथ- साथ वे अम्बाला शहर के प्रतिष्ठित समाज सेवी भी हैं
' राहत इंटरनेशनल ' के चेयरमैन के रूप में वे जन-जन की जो सेवा कर रहे हैं इसका पता मोहयालों को बहुत कम है। मुझे भी उनके इस व्यापक रूप के दर्शन अम्बाला में मिले।
अप्रेल को 'राहत इंटरनेशनल' के रेजिंग - डे समारोह में ' गेस्ट ऑफ़ ओनर ' के रूप में भाग लेने गए थे . अयोध्या कमीशन के चेयरमैन पूर्व चीफ जस्टिस एम एस लिब्राहन मुख्य - अतिथि थे।
श्री जे पी मेहता ने इस संस्था की स्थापना ३१ वर्ष पहले की थी। आज यह संस्था अम्बाला शहर की प्रमुख सामाजिक संस्था है। इसके पीछे श्री जे पी मेहता का योगदान सबसे प्रमुख है।
यह संस्था नेत्र दान, रक्त दान और अंग दान के कार्य करा रही है। इसके साथ डॉक्टर , पत्रकार , उद्योगपति ,शिक्षाविद और न्यायाधीश आदि जुड़े हुए हैं। समारोह में श्री जे पी मेहता के विषय में अनेक नई जानकारियाँ मिलीं।
श्री जे पी मेहता ने मरणोपरांत अपने समस्त अंग पी जी आई चंडीगढ़ को दान करने का निर्णय किया है उन्होंने इस सम्बन्ध में कोर्ट में वसीयत भी कर दी है। उनके इस कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। मोहयाल होने के नाते हमें उन पर गर्व है। जीते हुए भी वे समाजसेवा में संलग्न है। और मरने के बाद भी वे दूसरों के काम आना चाहते हैं। इससे बड़ी मानव-सेवा और क्या हो सकती है ! वे धन्य हैं और उनका परिवार भी धन्य है।
श्री जे पी मेहता का नगर में जो सम्मान है वे हम सबके लिए प्रेरणादायक है। ' राहत इंटरनेशनल ' ने अनेक लोगों को नेत्र-दान के लिए प्रेरित किया है। उनके प्रयासों से आज दो व्यक्ति दान में प्राप्त नेत्रों से इस संसार को देख सके हैं
राहत इंटरनेशनल के वाइस चेयरमैन सरदार तेजिंदर सिंह वालिया ने शोध करके प्रमाणित किया है कि सन् १८५७ की क्रांति का आरंभ अम्बाला से हुआ था कि मेरठ से उनके इस ग्रन्थ पर भी समारोह में चर्चा हुई। यह राष्ट्रीय स्तर का कार्य है इस कार्य ने इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। विश्वविद्यालयों में इस पर चर्चा होनी चाहिए भारत सरकार को इतिहास की पुस्तकों में इसका उल्लेख करवाना चाहिए ।समारोह में वे मंच पर मेरे साथ ही बैठे थे मैंने उन्हें बधाई दी और इतिहासवेत्ताओं तक अपनी जानकारियाँ पहुँचने का परामर्श दिया।
जस्टिस एम एस लिब्राहन ने भी सरदार तेजिंदर सिंह वालिया के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की

मोहयाल सभा अंबाला द्वारा अशोक लव सम्मानित :१२ अप्रैल २००९

श्री जे पी मेहता ( अध्यक्ष ) और अश्वनी बख्शी ( महासचिव ) समानित करते हुए

संबोधन
जनरल मोहयाल सभा के अध्यक्ष रायजादा बी दी बाली स्वागत करते हुए

Saturday 11 April, 2009

श्री विष्णु प्रभाकर जी को विनम्र श्रद्धांजलि !


श्री विष्णु प्रभाकर जी नहीं रहे। वे लंबे समय से बीमार थे।दिल्ली का कोई भी ऐसा साहित्यकार नहीं होगा जो उनके संपर्क में न आया हो। हमारा उनसे अनेक बार संपर्क हुआ। अन्तिम भेंट डॉ हरीश नवल की बिटिया के विवाह- समारोह में हुई थी । अस्वस्थ थे फिर भी विवाह में आए थे । डॉ हरीश नवल डॉ विजयेन्द्र स्नातक जी के दामाद हैं। स्नातक जी और विष्णु प्रभाकर जी घनिष्ठ मित्र थे। उपस्थित समस्त साहित्यकार उनका आशीर्वाद ले रहे थे। उन्हें कम दिखाई दे रहा था। पहचानने में कठिनाई हो रही थी। सुनने की भी समस्या थी। फिर भी पहचान गए थे। पूछा था - और तुम्हारी लघुकथाओं का क्या हाल है ? खूब लिख रहे हो।
विष्णु जी अजमेरी गेट से पैदल आकर कनाट प्लेस के मोहन सिंह पैलेस के काफ़ी हाउस में पहुँचते थे । वहाँ वे साहित्यकारों से घिरे रहते थे । वे क्या नए क्या पुराने , क्या वामपंथी क्या अन्य , सब साहित्यकारों के प्रिय थे। वे साहित्यिक-राजनीति से दूर थे । इसलिए सबके थे। उनके साथ अनेक लघुकथा - संग्रहों में प्रकाशित होने के अवसर मिले हैं । वे दिल खोलकर प्रशंसा करते थे। विष्णु जी ने हमेशा नए साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया था । कौन क्या और कैसा लिख रहा है उन्हें इसकी जानकारी रहती थी ।
वे पीतमपुरा के अपने निवास में आ गए तो कनाट प्लेस की गोष्ठियां बंद हो गईं।
प्रातः उनके निधन का समाचार टी वी पर सुनकर मन उदास हो गया।
अनेक स्मृतियाँ साकार हो गईं ।

Monday 6 April, 2009

राहत इंटरनेशनल का समारोह : अंबाला में एक दिन / अशोक लव

चार अप्रैल को अंबाला जाने का सुअवसर मिला। श्री जे पी मेहता ने बार-बार आने का आग्रह किया था । वे सहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित भी करना चाहते थे । यह उनका स्नेह-भाव है।
श्री जे पी मेहता मोहयाल सभा अम्बाला के प्रेजिडेंट हैं , जनरल मोहयाल सभा के सेक्रेटरी हैं इसके साथ- साथ वे अम्बाला शहर के प्रतिष्ठित समाज सेवी भी हैं
' राहत इंटरनेशनल ' के चेयरमैन के रूप में वे जन-जन की जो सेवा कर रहे हैं इसका पता मोहयालों को बहुत कम है। मुझे भी उनके इस व्यापक रूप के दर्शन अम्बाला में मिले।
अप्रेल को 'राहत इंटरनेशनल' के रेजिंग - डे समारोह में ' गेस्ट ऑफ़ ओनर ' के रूप में भाग लेने गए थे . अयोध्या कमीशन के चेयरमैन पूर्व चीफ जस्टिस एम एस लिब्राहन मुख्य - अतिथि थे।
श्री जे पी मेहता ने इस संस्था की स्थापना ३१ वर्ष पहले की थी। आज यह संस्था अम्बाला शहर की प्रमुख सामाजिक संस्था है। इसके पीछे श्री जे पी मेहता का योगदान सबसे प्रमुख है।
यह संस्था नेत्र दान, रक्त दान और अंग दान के कार्य करा रही है। इसके साथ डॉक्टर , पत्रकार , उद्योगपति ,शिक्षाविद और न्यायाधीश आदि जुड़े हुए हैं। समारोह में श्री जे पी मेहता के विषय में अनेक नई जानकारियाँ मिलीं।
श्री जे पी मेहता ने मरणोपरांत अपने समस्त अंग पी जी आई चंडीगढ़ को दान करने का निर्णय किया है उन्होंने इस सम्बन्ध में कोर्ट में वसीयत भी कर दी है। उनके इस कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। मोहयाल होने के नाते हमें उन पर गर्व है। जीते हुए भी वे समाजसेवा में संलग्न है। और मरने के बाद भी वे दूसरों के काम आना चाहते हैं। इससे बड़ी मानव-सेवा और क्या हो सकती है ! वे धन्य हैं और उनका परिवार भी धन्य है।
श्री जे पी मेहता का नगर में जो सम्मान है वे हम सबके लिए प्रेरणादायक है। ' राहत इंटरनेशनल ' ने अनेक लोगों को नेत्र-दान के लिए प्रेरित किया है। उनके प्रयासों से आज दो व्यक्ति दान में प्राप्त नेत्रों से इस संसार को देख सके हैं
राहत इंटरनेशनल के वाइस चेयरमैन सरदार तेजिंदर सिंह वालिया ने शोध करके प्रमाणित किया है कि सन् १८५७ की क्रांति का आरंभ अम्बाला से हुआ था कि मेरठ से उनके इस ग्रन्थ पर भी समारोह में चर्चा हुई। यह राष्ट्रीय स्तर का कार्य है इस कार्य ने इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। विश्वविद्यालयों में इस पर चर्चा होनी चाहिए भारत सरकार को इतिहास की पुस्तकों में इसका उल्लेख करवाना चाहिए ।समारोह में वे मंच पर मेरे साथ ही बैठे थे मैंने उन्हें बधाई दी और इतिहासवेत्ताओं तक अपनी जानकारियाँ पहुँचने का परामर्श दिया।
जस्टिस एम एस लिब्राहन ने भी सरदार तेजिंदर सिंह वालिया के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की
मोहयालों में श्री जे पी मेहता जैसे समर्पित और ज़मीन से जुड़े समाजसेवी बहुत कम हैं।वे " जय मोहयाल " के परामर्शदाता हैं। हमें उन पर गर्व है कि वे मोहयालों के नाम को रोशन किए हुए हैं