Saturday 17 April, 2010

25 वर्षों के बाद मिले मेरे स्टुडेंट्स


पारुल,रेणुका,श्रीमती अशोक लव
ज्योतिका कुमार,अंजलि ,रेणुका,सुशीला,आभा खानोलकर सिंह,श्रीमती अशोक लव,राजिंदर सिंह चड्ढा
किंशुक डे, अमित नागपाल ( पीछे खड़े )
आभा खानोलकर सिंह ने आपने निवास पर मिलने का कार्यक्रम बनाया था। सन 1985 में दी एयर फ़ोर्स स्कूल से उत्तीर्ण हुए आभा के सहपाठी एकत्र हुए थे। उन्हें लगभग 27-28 वर्ष पहले पढ़ाया था। इतने वर्षों के बाद भी उनके मन में वही आदर-सम्मान था। संबंधों का यह अपनत्व दर्शाता है कि आज भी सामाजिक मूल्य ज़िंदा हैं। अध्यापक और विद्यार्थियों के मध्य स्नेह और सम्मान के रिश्ते कायम हैं। 16 अप्रैल 2010 को नौयडा स्थित उसके निवास पर पत्नी और पुत्री सहित पहुँचा तो पुत्र-सम विद्यार्थी राजिंदर सिंह चड्ढा पर सबसे पहले दृष्टि पड़ी , फिर आभा नज़र आईफिर एक एक कर विद्यार्थी आते गए और रात के बारह कब बज गए पता ही नहीं चला
फ़ोटो में राजिंदर सिंह चड्ढा और आभा खानोलकर सिंह।




Thursday 1 April, 2010

टैफ्स कैम्पस : वर्षों - वर्षों का संग

टैफ्स गेट पार करने की कोशिश : शरारतें
टैफ्स के सामने का प्लेन
टैफ्स ( सुब्रोतो पार्क, दिल्ली कैंट ) - प्रवेश
फ़्लैट के पास का पार्क (जूनियर स्कूल )
टैफ्स - लायब्रेरी और एक्टिविटी हॉल
टैफ्स-ओपन एयर स्टेज : कितने - कितने फंक्शन !
विद्यार्थियों के साथ अंतिम दिवस : तीस अप्रैल दो हज़ार सात

टैफ्स-कैंटीन : और ज़िंदगी चलती रहेगी...
टैफ्स : पुराना रूप

टैफ्स-पैटन टैंक : लायब्रेरी के ठीक सामने इसे रखने का रहस्य क्या है ?

वर्षों इस मार्ग से गुज़री थी ज़िंदगी....स्कूल...घर ...यूकिलिपटस के पेड़ों की लम्बी कतारें ....दिन-रात ....