Saturday, 29 January 2011

"देनदार कोई और है, भेजत है दिन रैन" ---रहीम

रहीम अकबर के नव रत्नों में से एक थेवे कृष्ण-भक्त थे और दानी थेइस दोहे से उनकी विनम्रता की झलक मिलती हैदान देकर अपने नाम की भूख रखने वालों को यह दोहा हमेशा याद रखना चाहिए । 
 देनदार कोई और है, भेजत है दिन रैन।
लोग भरम हम पर धरै, यातें नीचे नैन॥

 "देने वाला तो भगवान है ,वही दिन-रात भेज रहा है। लोग समझते हैं हम दे रहे हैं। इसलिए हमने लज्जावश अपनी आँखें नीची की हुई हैं।"-रहीम

Tuesday, 25 January 2011

गणतंत्र-दिवस 2011 पर शुभकामनाएँ ....तिरंगे की कहानी !

26 जनवरी भारत का गणतंत्र दिवस है. सन 1950 में इसी दिन देश के संविधान को लागू किया गया था. तब से आज तक इस दिन को देश गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाता है.      
211 विद्वानों द्वारा 2 महीने   और 11 दिन में तैयार भारत के सँविधान को लागू किए जाने से पहले भी 26 जनवरी का बहुत महत्व था. 26 जनवरी एक विशेष दिन के रूप में चिह्नित किया गया था.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1930 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार तिरंगे झंडे को फहराया गया था परंतु साथ साथ ही एक और महत्वपूर्ण फैसला इस अधिवेशन के दौरान लिया गया. इस दिन सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया था कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन सभी स्वतंत्रता सैनानी पूर्ण स्वराज का प्रचार करेंगे. इस तरह 26 जनवरी अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया था. 15 अगस्त 1947 में अंग्रेजों ने भारत की सत्ता की बागडोर जवाहरलाल नेहरू के हाथों में दे दी, लेकिन भारत का ब्रिटेन के साथ नाता या अंग्रेजों का अधिपत्य समाप्त नहीं हुआ. भारत अभी भी एक ब्रिटिश कॉलोनी की तरह था, जहाँ कि मुद्रा पर ज्योर्ज 6 की तस्वीरें थी.
आज़ादी मिलने के बाद तत्कालीन सरकार ने देश के सँविधान को फिर से परिभाषित करने की जरूरत महसूस की और सविँधान सभा का गठन किया जिसकी अध्यक्षता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को मिली. 25 नवम्बर 1949 को देश के सँविधान को मंजूरी मिली. 24 जनवरी 1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने इस पर हस्ताक्षर किए. और इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी 1950 को सँविधान लागू कर दिया गया. गणतंत्र-दिवस 2011 पर शुभकामनाएँ !तिरंगे  की  कहानी 

Monday, 24 January 2011

महान संगीत सम्राट पंडित भीमसेन जोशी विनम्र श्रद्धांजलि ! --अशोक लव

महान संगीत सम्राट पंडित भीमसेन जोशी नहीं रहे. हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !

Saturday, 22 January 2011

Refugees in the Valley -- 1

संपादकीय
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स्वागत -2011
*अशोक लव
ashok lav.jpgसन1891 से आरम्भ हुई जनरल मोहयाल सभा की यात्रा अनेक उपलब्धियों के संग वर्ष 2011 में प्रवेश कर चुकी है. आशामय ,उज्ज्वल और निरंतर गतिशील रहने वाले नए वर्ष के सूर्य का हम स्वागत करते हैं. नया वर्ष अपने संग नए स्वप्न लाता है, नई आशाएँ लाता है. नई उमंगें लाता है. हम गत वर्षों की यात्रा के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते हैं. मंथन करते हैं. इनके आधार पर नए वर्ष के लिए योजनाएँ-परियोजनाएँ  बनाते  हैं .
वर्ष 2011 में मोहयाल आश्रम वृन्दावन बनकर तैयार हो जाएगा. मोहयाल आश्रम हरिद्वार के पश्चात्  मोहयालों के लिए गर्व करने का एक और सुन्दर और एतिहासिक  भवन बन जाएगा. रायजादा बी डी बाली के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में गत वर्षों में जो उपलब्धियाँ हुई हैं वे अद्वितीय हैं. सन 1978 में उन्होंने जनरल मोहयाल सभा के प्रेजिडेंट का पदभार संभाला था. तब से आज तक वे निरंतर किसी न किसी परियोजना को कार्यान्वित करते रहे हैं. अतीत पर दृष्टि डालें तो जी एम एस की आज तक की  तमाम उपलब्धियों का श्रेय उन्हीं को जाता है. इसी का परिणाम है कि वर्ष 2010 में हुए चुनावों में मोहयाल समाज ने उन्हें और उनकी टीम को अभूतपूर्व समर्थन देकर पुनः निर्वाचित किया है. मोहयाल सजग और सतर्क हैं. रायजादा बी डी बाली द्वारा किए कार्य सबके सामने हैं. मोहयाल किसी के बहकावे में नहीं आए और उन्होंने  रायजादा बी डी बाली को उत्तरदायित्व सौंप दिया.
देश के विभिन्न अंचलों में कार्य कर रही ' लोकल मोहयाल सभाएँ ' जी एम एस के साथ कदम-से कदम मिलकर चल रही हैं. जी  एम एस उनकी प्रत्येक परियोजनाओं में आर्थिक और अन्य सहयोग देकर उन्हें पूर्ण समर्थन दे रही है. विभिन्न सभाओं के बने भवन इसके प्रतीक हैं. नवीनतम उदाहरण  मोहयाल सभा होश्यारपुर का है. इस सभा का भवन निर्माणाधीन है. इसके पूर्ण होने में आर्थिक समस्या आ गई. उनके पदाधिकारियों ने जी एम एस से अनुरोध किया. रायजादा बी डी बाली ने तत्काल आर्थिक सहयोग की सहमति दे दी.
वास्तव में ये सारे भवन मोहयालों के लिए ही हैं. मोहयाल सभा यमुना नगर ने भी वर्तमान भवन के साथ के प्लाट को लेने का निर्णय लिया तो जी एम एस की ओर से स्वीकृति  दे दी गई.
मोहयाल भवन  (इन्द्रपुरी  ,नई दिल्ली ) पुनः सुव्यवस्थित ढंग से संचालित हो रहा है. इसे नया रूप देने के कार्य हो रहे हैं . मोहयाल आश्रम और मोहयाल सेवा सदन हरिद्वार मोहयालों के आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं और सुचारू ढंग से संचालित हो रहे हैं. यहाँ जो मोहयाल एक बार ठहरता है इसी का हो जाता है. विश्व भर में इसकी प्रशंसा हो रही है. मोहयाल फ़ौंडेशन स्थित ' एम ई आर आई टी ' के माध्यम से आई टी क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने के कार्य चल रहे हैं.
मोहयालों में जी एम एस के प्रति जो विश्वास बना है उसके पीछे जी एम एस के पदाधिकारियों और मैनेजिंग  कमेटी के सदस्यों का निःस्वार्थ सेवा- भाव है. रायजादा बी डी बाली की समर्पण भाव से कार्य करने की शैली है. यही कारण है कि देहरादून और मेरठ में मोहयालों ने अपनी सम्पति जी एम एस को भेंट कर दी.
वर्ष 2010 में अनेक मोहयाल सभाओं ने ' मोहयाल -मिलन ' आयोजित किए. इनके माध्यम से स्थानीय मोहयाल आपस में मिले. अपनत्व की भावना पनपी. विचार-विमर्श हुए. नए कार्य करने की प्रेरणा मिली. दिसंबर में फरीदाबाद, देहरादून और करनाल में सफल आयोजन हुए. यह मिलन मोहयाल-संस्कृति को संरक्षित और गतिशील रखते हैं. फेसबुक और ऑरकुट आदि सोशल-साईट के माध्यमों से मोहयाल आपस में संवाद करते है. ये  माध्यम हमरी संस्कृति को जीवंत रख रहे हैं.
जी एम एस द्वारा 14 नवम्बर को ' प्रतिभाशाली मोहयाल विद्यार्थी सम्मान समारोह ' आयोजित किया गया. युवा और किशोर पीढ़ी में मोहयाली भावना जागृत करने में यह समारोह अहम भूमिका निभा रहा है.
वर्ष 2011 में जी एम एस मोहयालों में रिश्ते- नाते कराने के लिए ' मैट्रिमोनियल -मेला ' आयोजित  करने जा रहा है. वार्षिक महाधिवेशन और कांफ्रेंस के  साथ यूथ कैम्प का आयोजन भी 2011 में किया जाएगा.
' जी एम एस ' संस्था आप सबके सहयोग से इन सब कार्यों को संचालित कर रही है. ये कार्य प्रत्येक मोहयाल को गौरवान्वित कर रहे हैं. वर्ष - 2011 में भी आप सबका सहयोग
जी एम एस को  मिलता रहेगा और रायजादा बी डी बाली की टीम आप सबके लिए इसी प्रकार सेवा-भाव से कार्यरत रहेगी.
आइए इस नए वर्ष में हम सब मोहयाल ध्वज को और बुलंदियों पर फहराने का संकल्प लें . आप सब सपरिवार सानंद रहें . यह वर्ष आप सबके लिए सुख-समृद्धि  भरा हो.
जय मोहयाल !
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मोहयाल मित्र ,जनवरी 2011