Wednesday, 28 November, 2012

कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएँ !

ਨਾਨਕ ਨਾਮ ਚੜਦੀ  ਕਲਾ,ਤੇਰੇ ਭਾਣੇ ਸਰਬਤ ਦਾ ਭਲਾ ! कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती की हार्दिक  शुभकामनाएँ !| 

Wednesday, 14 November, 2012

अशोक लव की लघुकथा 'सरजू बड़ा हो गया ' का असमी में अनुवाद

সৰজু ডাঙৰ হ’ল….

সৰজুৱে চাকৰি পালে৷ ইয়াতে কোপানী এটাত ঘৰ সৰা-মোচা, চাফ-চিকুণ কৰা আৰু চাহ-পানী দিয়া, বচ! সি সন্তুষ্ট৷ দুহেজাৰ টকীয়া চাকৰিৰে সি চলি যাব৷ গাৱঁৰ পৰা অহা ল’ৰাবোৰৰ সৈতে ইয়াৰে কোনোবা এটা কোঠাত থাকিব সি৷ পাঁচশ টকা ভাড়া দিব৷ তাৰ গাৱঁৰে তুলসী দুবছৰ আগতে বিহাৰৰ পৰা দিল্লীলৈ আহিছিল৷ সি দুটা কোঠাৰ ঘৰ এটা ভাড়া লৈ আছে৷ তাত আঠটা ল’ৰা থাকে৷ কেঁচা-পকী ঘৰৰ অবৈধ কলোনী৷
সি তুলসীৰ ওচৰলৈ যোৱাত তুলসীয়ে আচৰিত হৈ সুধিলে, “ আৰে তই আমাৰ লগত থাকিবিনে? তোৰ দেউতা দেখোন ইয়াতে থাকে৷ তেওঁৰ লগত থাকগৈ৷”
সৰজুৰ মুখ খঙতে ৰঙা হৈ পৰিল৷ তাৰ মুখমন্ডলত কষ্টৰ ভাৱ এটাও প্ৰকাশ পাই উঠিল৷ সে ভেকাহি মাৰি ক’লে, “দেউতা? কেনেকুৱা দেউতা? মোৰ মা গাৱঁত পৰি আছে৷ আৰু দেউতাই ইয়াত বেলেগ তিৰোতা ৰাখিছে৷ মদ খাই মতলীয়া হৈ থাকে৷ মোৰ মুখ দেখিলেই খঙতে ৰ’ব নোৱাৰা হয়৷ মাৰিব ধৰে৷ তই তোৰ লগত থাকিব দিলে মাহে পাঁচশ টকা ভাড়া দিম৷ কুকুৰৰ নিচিনা মাৰ খোৱাৰ পৰাতো সাৰি যাম৷ কিছু টকা মালৈকো পঠিয়াম৷
 
তুলসীয়ে অবাক হৈ তাৰ মুখলৈ চাই আছিল৷ যোৱা কালিলৈকে গাৱঁৰ গলিয়ে গলিয়ে নঙঠা হৈ ল’ৰি ফুৰা সৰজু পোন্ধৰ বছৰ বয়সতে কিমান ডাঙৰ হৈ গ’ল৷
অশোক লৱৰ হিন্দী লঘু কথা  'সৰজু বড়া হো গয়া' ৰ অনুবাদ

Translation of  Dr. Ashok Lav's लघुकथा  सरजू बड़ा हो गया

Friday, 9 November, 2012

अशोक लव की लघुकथा ' सामने वाला कमरा '

शैवाल कक्षा में खिड़की के पास बैठता था.मैं निराला की कविता पढ़ा रहा था.वह बहुत देर से खिड़की से बाहर देखे जा  रहा था. विद्यार्थियों का ध्यान इधर-उधर हो तो मुझसे पढ़ाया नहीं जाता.उसकी ओर तीन-चार बार देख चुका था.उसे तो मानो किसी की चिंता ही नहीं थी.वह कक्षा में हमेशा प्रथम आता था.पर इस प्रकार की अनुशासंहीनता तो असहनीय थी.
उसके पास जाकर खड़ा हो गया. उसे कुछ पता न चला.
' कहाँ खोए हुए हो ?'-उसे कंधे से पकड़कर झकझोरते हुए कहा.
'सर ,वह .....' -वह घबरा गया. फिर एकदम खड़ा हो गया.
पूरी कक्षा हँस पडी.
' बैठ जाओ ,कविता पढ़ा रहा हूँ. ध्यान नहीं दोगे तो समझ नहीं पाओगे .' -उसे बिठाते हुए कहा.
वह रो पड़ा.
घंटी बज गई. पीरियड समाप्त हुआ. स्टाफ़-रुम जाकर भी उसका चेहरा आँखों के सामने आता रहा.एक विद्यार्थी को उसे बुलाने भेजा.
' बैठो शैवाल !' वह आया तो उसे साथ वाली कुर्सी पर बैठने के लिए कहा.वह झिझकते हुए बैठ गया.
' तुम कक्षा में रो क्यों पड़े थे ? मैंने तो कुछ भी नहीं कहा था ?'
' सर,आज माता जी की मृत्यु हुए पूरे दो वर्ष हो गए हैं. साथ वाले अस्पताल में उनकी मृत्यु हुई थी. मैं अस्पताल के  उसी कमरे की ओर देख रहा था.'
मैं अवाक् उसका मुख देखता रह गया. यदि कक्षा में उसे सज़ा दे देता  तो?