Thursday 25 February, 2010

He who tries to develop universal love should try to possess various Sattvic virtues such as Kshama, patience, perseverance, tolerance, generosity, straightforwardness, mercy, truthfulness, Ahimsa, Brahmacharya, Nirabhimanata, etc. He should serve humanity untiringly with a disinterested, selfless spirit for many years. He has to kill his little self ruthlessly. He must bear calmly insults and injuries. Then only there is the prospect of cultivating cosmic love.

~Swami Sivananda~
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I have good news and I have bad news:

The bad news is that we have lost the key to the door
behind which the secret of life is hidden.

The good news is that it was never locked.

—Swami Beyondananda
समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
रहिमन दीन अनाथ को, तुम बिन को भगवान।।

Wednesday 24 February, 2010

अलविदा नहीं सुखद विदा

Don’t be dismayed by goodbyes. A farewell is necessary before you
can meet again. And meeting again, after moments or lifetimes, is
certain for those who are friends
*Richard Bach

Friday 19 February, 2010

विजय दत्ता रहेजा का शे ' र

"दोस्ती का हक हम यूँ अदा करते हैं,

दोस्त के नाम पर जान फ़िदा करते हैं।

तुम्हें फूल का ज़ख़्म भी आने पाए ,

अल्लाह से यह दुआ करते हैं ।।"

विजय दत्ता रहेजा जी वाह क्या बात कही है! आज की ज़िंदगी में इन भावनाओं को जीने वाले बहुत कम हैं।
"हम हमेशा उनकी तारीफ करते हैं ,
जो अपने से ज्यादा दूसरों से प्यार करते हैं
अल्लाह आपको ऐसा बनाए रखें ,
हम
हमेशा यही दुआ करते हैं। "-अशोक लव

Tuesday 16 February, 2010

अशोक लव सम्मानित / सुभाष दत्ता


१४ फरवरी को जनरल मोहयाल सभा के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में श्री अशोक लव को उनकी सामाजिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया
दिसंबर में फरीदाबाद में आयोजित ' मोहयाल - दिवस ' के अवसर पर यह सम्मान प्रदान किया जाना थाश्री अशोक लव माता जी के निधन के कारण समारोंह में उपस्थित हो सके थेमोहयाल सभा फरीदाबाद के अध्यक्ष श्री रमेश दत्ता ने उन्हें यह सम्मान जी एम एस कार्यालय में प्रदान करने का निश्चय किया
जनरल मोहयाल सभा के अध्यक्ष मोहयाल-रत्न रायजादा बी डी बाली ने उन्हें स्मृति-चिह्न प्रदान कियाइस अवसर पर रायजादा बी डी बाली ने अशोक लव के मोहयाल समाज के लिए किए कार्यों की प्रशंसा की
सबने तालियों के साथ उनका स्वागत किया और प्रसन्नता प्रकट की
इस अवसर पर श्री अशोक लव की पत्नी श्रीमती नरेशबाला लव और सुपुत्री पारुल मेहता भी उपस्थित थीं
सम्मान के अवसर की प्रसन्नता इस फ़ोटो में अंकित हो गई है
फ़ोटो में ( बाएँ से )-बाएँ से पी मोहन ( सीनियर वाईस प्रेज़िडेंट ), अशोक लव ,रायजादा बी डी बाली, बक्शी एस के छिब्बर आई एस ( पूर्व उप-राज्यपाल), श्री डी वी मोहन प्रसन्न मुद्रा में



बाएँ से - श्री जी एल दत्ता जोश, मेहता पी मोहन ( सीनियर वाईस प्रेज़िडेंट ), श्री अशोक लव, रायजादा बी डी बाली, बक्शी एस के छिब्बर आई एस ( पूर्व उप-राज्यपाल)।



मेहता पी मोहन ( सीनियर वाईस प्रेज़िडेंट ), श्री अशोक लव, रायजादा बी डी बाली, श्री रमेश दत्ता

Saturday 13 February, 2010

गाँव की गंध / अशोक लव

http://www.defendersofpanjab.org/communities/6/004/006/652/626/images/4521976861.jpg

भीड़ भरे नगर के अकेलेपन में
रह-रहकर भर आती हैं स्मृतियाँ
रह-रहकर भर आती है गंध -
गाँव की , टेढ़ी-मेढ़ी गलियों की ।
धूल भरी गलियों में
सिर पर उपलों के ढेर उठाए
आ-जा रही होंगी -
रधिया,गुलाबो,किसनी
जा रहे होंगे भैंस नहलाने -
फकीरिया,जोधु,पासू ।
पहुँचकर जोहड़ किनारे
बैठकर भैंसों पर
उतर गए होंगे जोहड़ में
कूदकर पानी में खूब तैरे होंगे
थककर पकड़ ली होगी भैंसों की दुम
और चढ़ बैठे होंगे भैंसों पर।
माँ बैठी होगी चूल्हे के पास
फूँकें मार-मार सुलगती होगी आग
पल्लू से पोंछती जाती होगी
छम-छम बहता आँखों का पानी।
दहलीज के बाहर चौंतरे पर
खात बिछाए बैठा होगा बापू -
गुडगुडा रहा होगा हुक्का,
संग बैठे होंगे-
भगवाना,रामदयाल,बसेसर
मिल बाँट रहे होंगे
गाँव -शहर,देश-परदेश की चिंताएँ।
लौट आया होगा खेतों से भाई
कड़-कड़ ,खड़-खड़ करते ट्रैक्टर का शोर सुन
निकल आई होगी भौजाई।
गाँव भर में उतर आई होगी सांझ ,
आई होगी परकाशो
कुछ लेने, कुछ देने के बहाने
पता नहीं माँ ने बताया होगा या नहीं
मेरा समाचार
पता नहीं परकाशो गई भी होगी या नहीं
माँ के पास ?
पता नहीं वह करती भी होगी या नहीं
मेरी प्रतीक्षा?
पता नहीं उसके बापू ने कर न दिया हो
उसका रिश्ता
वह रह गई हो खामोश ।
गाँव की लड़कियाँ
आखिर गाँव की होती हैं ,
नहीं-नहीं !
लड़कियाँ अपने गाँव की कहाँ होती हैं!
छोड़ना ही होता है उन्हें अपना गाँव
क्या पता छोड़ गई हो परकाशो भी
अपना गाँव ?
तुम बहुत याद आते हो
भीड़ भरे नगर में
नगर के अकेलेपन में मेरे गाँव।
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
*@सर्वाधिकार अशोक लव
पुस्तक-अनुभूतियों की आहटें ( १९९७)

Saturday 6 February, 2010

तुम / अशोक लव

तुम
ज्यों -
अंतिम पहर का स्वप्न ,
ज्यों -
कमल-पाँखुड़ी पर तुहिन- कण ,
ज्यों -
वर्षा धुले आकाश पर इन्द्रधनुष ,
ज्यों-
तितलियों के पंखों पर अंकित गीत,
ज्यों -
मेघों को समर्पित मयूर-नृत्य ,
ज्यों-
जल-तरंगों पर रश्मियों की अठखेलियाँ,
ज्यों-
मानसरोवर में उतरना हंसों का,
ज्यों-
गंगा का भागीरथ हेतु अवतरण ,
ज्यों-
शुष्क चट्टानों पर रुई के फाहों-सा हिमपात,
ज्यों-
भोज-पत्रों पर अंकित ऋचाएँ,
ज्यों-
साधक मन में आलोकित दिव्य-प्रकाश
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
* पुस्तक- अनुभूतियों की आहटें ( वर्ष-१९९७)
@सर्वाधिकार : अशोक लव

Thursday 4 February, 2010

हरियाणा के लघुकथाकार और लघुकथाएँ

डॉ रूप देवगुण के संपादन में हरियाणा के लघुकथाकारों पर महत्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हुआ है--'हरियाणा की प्रतिनिधि लघुकथा। ' इसमें इक्यावन लघुकथाकारों की तीन -तीन लघुकथाएँ संकलित हैं। ' हिन्दी लघुकथा को हरियाणा का योगदान ' - शीर्षक लेख में डॉ रूप देवगुण ने तीस पृष्ठों में हरियाणा और राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा के लघुकथाकारों के योगदान को रेखांकित किया है। यह लेख गहनता लिए है।
इस 199 पृष्ठों के ग्रन्थ के इक्यावन लघुकथाकार हैं-
१.विष्णु प्रभाकर २.डॉ मदन लाल वर्मा ३.पूरन मुदगल ४.डॉ शिवनाथ pराय ५.सुगनचंद मुक्तेश ६.डॉ सुधा जैन ७.रक्षा शर्मा 'कमल' e८.प्रो जितेन्द्र सूद ९.उर्मि कृष्ण १०.प्रो रघुवीर ' अनाम' ११.पृथ्वीराज अरोड़ा e१२.सुखचैन सिंह भंडारी १३.विधिश्री पवन चौधरी ' मनमौजी' १४.प्रो रमेश सिद्धार्थ १५.डॉ सुरेन्द्र गुप्त d१६.डॉ रूप देवगुण १७.रामकुमार आत्रेय १८.प्रो इंदिरा खुराना १९.प्रेमसिंह बरनालवी २०.डॉ सुरेन्द्र वर्मा २१.बन्सीराम शर्मा २२.डॉ अशोक लव २३.डॉ श्याम सखा 'श्याम' २४.विकेश निझावन २५.मधुकांत २६.मधुदीप r२७.हरनाम शर्मा २८.डॉ मुक्त २९.कमलेश भारतीय ३०.डॉ राजकुमार निजात ३१.कमल कपूर ३२.डॉ रामनिवास मानव ३३.डॉ अशोक भाटिया ३४.रोहित यादव ३५.सत्यप्रकाश भारद्वाज ३६.कृष्णलता यादव ३७.डॉ स्नेही ३८.डॉ शील कौशिक ३९.डॉ सत्यवीर मानव ४०.सुरेन्द्र कुमार अंशुल ४१.रामकुमार गहलावत ४२.संतोष गर्ग ४३.सुशील डावर 'साथी' ४४.इंदु गुप्ता ४५.सुरेश जांगिड उदय ४६.अनिल शूर आज़ाद ४७.डॉ बीजेन्द्र जैमिनी ४८.डॉ प्रद्युमन भल्ला ४९.अरुण कुमार ५०.अशोक माधव ।
ग्रन्थ के अंत में लघुकथाकारों के परिचय दिए गए हैं। इनसे उनसे संपर्क में सुविधा रहेगी।
डॉ रूप देवगुण कुशल संपादक हैं। यह ग्रन्थ उनके इस स्वरूप का परिचायक है। लघुकथा पर शोध करने वाले विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए यह अत्यंत उपयोगी है।
पुस्तक प्राप्त करने के लिए संपर्क :
डॉ रूप देवगुण , डॉ गांधी वाली गली,१३/६७६,गोबिंद नगर,सिरसा (हरियाणा)
(एम) 09812236096