शब्दों से क्या उनका धन्यवाद दिया जा सकता है ?
पर भीगा मन कहता है सर्वप्रथम उन्हें धन्यवाद दूँ.
जीवन-यात्रा के मध्य इसे बहुतों ने सजाया- संवारा.
जीवन-यात्रा के मध्य इसे बहुतों ने सजाया- संवारा.
उन सबका धन्यवाद.
जो अपने नहीं थे उन्होंने भी अपनत्व से जीवन के बहुत दिनों को सुखमय बनाया. कुछ वर्षों से साथ हैं, कुछ ,कुछ पल साथ रहे. कुछ अधिक समय साथ रहे और अब न जाने कहाँ कैसी स्थिति में हैं. उन सबका धन्यवाद !
कुछ स्वार्थवश संग रहे और स्वार्थ पूरे कर चले गए.
जो अपने नहीं थे उन्होंने भी अपनत्व से जीवन के बहुत दिनों को सुखमय बनाया. कुछ वर्षों से साथ हैं, कुछ ,कुछ पल साथ रहे. कुछ अधिक समय साथ रहे और अब न जाने कहाँ कैसी स्थिति में हैं. उन सबका धन्यवाद !
कुछ स्वार्थवश संग रहे और स्वार्थ पूरे कर चले गए.
उनका भी धन्यवाद.
उनसे भी बहुत कुछ सीखने को मिला.
कुछ अपनों का मुखौटा ओढ़कर संग रहे और छल करके चले गए.
उनका भी धन्यवाद.
कुछ अब भी मुखौटा ओढ़े संग हैं .
कुछ अपनों का मुखौटा ओढ़कर संग रहे और छल करके चले गए.
उनका भी धन्यवाद.
कुछ अब भी मुखौटा ओढ़े संग हैं .
उनका भी धन्यवाद !