Saturday, 29 January 2011

"देनदार कोई और है, भेजत है दिन रैन" ---रहीम

रहीम अकबर के नव रत्नों में से एक थेवे कृष्ण-भक्त थे और दानी थेइस दोहे से उनकी विनम्रता की झलक मिलती हैदान देकर अपने नाम की भूख रखने वालों को यह दोहा हमेशा याद रखना चाहिए । 
 देनदार कोई और है, भेजत है दिन रैन।
लोग भरम हम पर धरै, यातें नीचे नैन॥

 "देने वाला तो भगवान है ,वही दिन-रात भेज रहा है। लोग समझते हैं हम दे रहे हैं। इसलिए हमने लज्जावश अपनी आँखें नीची की हुई हैं।"-रहीम

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