Thursday, 8 October 2009

हदीसे- नातमाम पुस्तक / अशोक लव

कमलेश शर्मा मेरे बचपन के मित्र हैं। हम कैथल ( हरियाणा ) में साथ - साथ के मौहल्लों में रहते थे। एक ही स्कूल में पढ़ते थे। उनके पिता स्वर्गीय श्री देशराज शर्मा जी हमारे अध्यापक थे। मुझे पता नहीं था कि वे उर्दू के बहुत बड़े शायर थे। कमलेश शर्मा के साथ भी वर्षों के बाद कैथल में भेंट हुई थी। आर के एस डी कॉलेज में मेरा सम्मान था। कमलेश शर्मा साहित्य सभा के सचिव थे ( अब भी हैं ) । अपने भाषण में जब मैंने बिताए अपने बचपन के विषय में बताया तब सब आश्चर्यचकित रह गए और अपने मौहल्ले का नाम बताया तब पता चला कि कमलेश शर्मा तो मेरे बाल्यकाल के मित्र थे।
वर्षों गुज़र गए। अब मित्रता की प्रगाढ़ता का अपना ही आलम है।
श्री देशराज शर्मा जी ' अब्र ' सीमाबी के नाम से शायरी करते थे। उर्दू में लिखी उनकी रचनाओं को कमलेश शर्मा ने देवनागरी में लिप्यान्तरण कराकर ' हदीसे - नातमाम ' पुस्तक रूप में प्रकाशित किया है। हिन्दी-उर्दू के विद्वान डॉ राणा गन्नौरी ने इसका देवनगरी में विद्वतापूर्वक लिप्यान्तरण किया है।
...जारी

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