Tuesday, 13 September 2011
क्षमा -दिवस पर क्षमा -याचना !
क्षमा -वाणी-दिवस के अवसर पर उन सबसे क्षमा -याचना जिन्हें किसी भी रूप में
ठेस पहुँचाई हो . हमारे आचरण या व्यवहार से जिन्हें कष्ट पहुँचा हो उनसे
भी क्षमा प्रार्थना !
Monday, 12 September 2011
Pratibhashalee Mohyal Vidyarthee Samman on 9th October 2011
Dear Brother/ Sister
It is my pleasure to inform you that your son / daughter will be honored with Pratibhashalee Mohyal Vidyarthee Samman on Sunday,9th October 2011 at Mohyal Foundation , A-9,Qutab Institutional Area, Jeet Singh Marg, New Delhi-110067 at 10:30 am.
Please confirm by phone / E-mail /post your participation.
With regards
Ashok Lav
Convenor
Pratibhashalee Mohyal Vidyarthee Samman
General Mohyal Sabha
Phone:011-265604565
Telefax:26561504,32585750
E-mail:gmsoffice2003@gmail.com,gmsoffice2003@yahoo.co.in
Website:www.mohyal.com
www.mohyalonline.com
It is my pleasure to inform you that your son / daughter will be honored with Pratibhashalee Mohyal Vidyarthee Samman on Sunday,9th October 2011 at Mohyal Foundation , A-9,Qutab Institutional Area, Jeet Singh Marg, New Delhi-110067 at 10:30 am.
Please confirm by phone / E-mail /post your participation.
With regards
Ashok Lav
Convenor
Pratibhashalee Mohyal Vidyarthee Samman
General Mohyal Sabha
Phone:011-265604565
Telefax:26561504,32585750
E-mail:gmsoffice2003@gmail.com,gmsoffice2003@yahoo.co.in
Website:www.mohyal.com
www.mohyalonline.com
Friday, 9 September 2011
Wednesday, 7 September 2011
Monday, 5 September 2011
महान शिक्षकों को नमन / अशोक लव
शिक्षक और गुरु में बहुत अंतर है. शिक्षण को व्यवसाय के रूप में अपनाने
वाले शिक्षक हो सकते हैं, गुरु नहीं. गुरु अपने लिए नहीं अपने शिष्यों के
लिए जीते हैं . अपने अर्जित समस्त ज्ञान को शिष्यों को अर्पित कर देते हैं.
गुरु कुम्हार शिष्य कुभ्भ है गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट । अन्तर हाथ सहाय दे बाहर बाहै चोट ॥
शिक्षक अपने भीतर के प्रकाश से शिष्यों के अंधकारमय जीवन को प्रकाशमय कर देते हैं. उन्हें ज्ञानवान बनाते हैं. इसलिए गुरुजन के लिए कहा गया है-- गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
ब्रह्मा,विष्णु और महेश बनना असंभव है. यह गुरु को सम्मान देने का भाव है. वर्तमान में श्रेष्ठ शिक्षक होना ही बहुत बड़ी बात है.
ऐसे महान शिक्षकों को नमन जिन्होंने शिक्षक के पद को गुरु के रूप में बदल दिया. अपना समस्त जीवन विद्यार्थियों को समर्पित कर दिया.
गुरु कुम्हार शिष्य कुभ्भ है गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट । अन्तर हाथ सहाय दे बाहर बाहै चोट ॥
शिक्षक अपने भीतर के प्रकाश से शिष्यों के अंधकारमय जीवन को प्रकाशमय कर देते हैं. उन्हें ज्ञानवान बनाते हैं. इसलिए गुरुजन के लिए कहा गया है-- गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
ब्रह्मा,विष्णु और महेश बनना असंभव है. यह गुरु को सम्मान देने का भाव है. वर्तमान में श्रेष्ठ शिक्षक होना ही बहुत बड़ी बात है.
ऐसे महान शिक्षकों को नमन जिन्होंने शिक्षक के पद को गुरु के रूप में बदल दिया. अपना समस्त जीवन विद्यार्थियों को समर्पित कर दिया.
Thursday, 1 September 2011
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