डॉ शंकर दयाल शर्मा ने मेरी पुस्तक ‘ हिन्दी के प्रतिनिधि साहित्यकारों से साक्षात्कार ‘ का लोकार्पण ९ फरवरी १९९० को किया था.यह कार्यक्रम उपराष्ट्रपति-निवास में डॉ विजयेंद्र स्नातक के सानिद्ध्य में और दैनिक हिंदुस्तान के संपादक श्री विनोद कुमार मिश्र की अध्यक्षता में हुआ था. डॉ नारायण दत्त पालीवाल, डॉ रणवीर रांग्रा , डॉ गंगा प्रसाद विमल,रायजादा बी डी बाली प्रमुख वक्ता थे. डॉ उपेन्द्र रैणा ने लोकार्पण-समारोह का कुशल संचालन किया था. इस पुस्तक में डॉ रामेश्वर शुक्ल अंचल, श्री मन्मथनाथ गुप्त, डॉ प्रभाकर माचवे , श्री केदारनाथ अग्रवाल ,पद्मश्री यशपाल जैन, पद्मश्री आचार्य क्षेमचन्द्र सुमन, पद्मश्री चिरंजीत से किए मेरे साक्षात्कार थे. यह सभी साक्षात्कार ‘दैनिक हिंदुस्तान ‘ में ‘ यादों के झरोखे से ‘ स्तंभ में प्रकाशित हुए थे. जिन साहित्यकारों से साक्षत्कार किए थे इस समारोह में उनमें से श्री मन्मथनाथ गुप्त, श्री यशपाल जैन, आचार्य क्षेमचन्द्र सुमन, श्री चिरंजीत उपस्थित थे. मेरे अन्य अनेक साहित्यकार-मित्र भी उपस्थित हुए थे. इनमें सर्वश्री अशोक वर्मा,असीम शुक्ल, धंनजय सिंह, आरिफ जमाल, सुरेश यादव,नरेन्द्र लाहड़, श्रवण राही, भारतेंदु मिश्र, डॉ जगदीश चंद्रिकेश ,सुरेश गौतम,श्री महेंद्र शर्मा, श्री सत्यप्रकाश भारद्वाज,श्री वीरेंद्र जरयाल, श्री राजगोपाल सिंह प्रमुख थे. शिक्षाविदों में श्री एम एल बब्बर और एयर कमाडोर बी के निगम उपस्थित हुए. समरो के लिए एक घंटे का समय मिला था. जब डॉ शंकर दयाल शर्मा जी साहित्य पर बोलने लगे तो पचास मिनट तो उन्होंने ही ले लिए. समारोह लगभग दो घंटे तक चला. जीवन के कुछ क्षण अविस्मरणीय हो जाते हैं ये भी ऐसे ही क्षण थे.
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