'मोहयाल मित्र ' पत्रिका का संपादन करते हुए 25 वर्ष हो गए हैं . जुलाई 2012 के अंक के साथ 25 वर्ष पूरे हुए हैं। इन वर्षों में अनेक सुखद अनुभव हुए। वस्तुतः इस प्रकार की पत्रिकाओं का अपना पाठक -वर्ग होता है। किसी विशेष समुदाय से संबद्ध होने के कारण इनका स्वरूप सामाजिक अधिक होता है,साहित्यिक कम। जब मैंने इसका संपादन संभाला तब हिन्दी का एक पृष्ठ होता था।आज स्थिति यह है कि हिन्दी के पृष्ठों की कोई सीमा नहीं है। इन 25 वर्षों में अनेक युवाओं को लेखक-पत्रकार बनाने में सहयोग किया,प्रोत्साहित किया। अनेक प्रतियोगिताएँ आयोजित करके हिंदी भाषा में लेखन के लिए पुरस्कृत किया। सुखद लगता है। जनरल मोहयाल सभा संस्था की यह पत्रिका देश की सबसे पुरानी स्थापित और लगातार प्रकाशित होने वाली पत्रिका है। इसका प्रकाशन सन 1891 में कुछ समर्पित मोहयालों ने किया था। लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसका उल्लेख है।
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