Thursday, 18 October 2012

वह और भेड़ें


वह सब्ज़ बाग दिखाकर झुंड में से कुछ भेड़ों को अपने साथ ले गया था. हरी-हरी घास, पीने के लिए झरनों का पानी ...उसने कितने-कितने स्वप्न दिखाए ! भेड़ें वर्षों से झुंड में थीं.लालच में आकर अपनों को छोड़कर चली गई. वह उन्हें अपने साथ जंगल में बहुत दूर ले गया. खूब खिलाया -पिलाया.लालची भेड़ों को लगा वे स्वर्ग में आ गई हैं.उन्होंने पीछे रह गई भेड़ों को मूर्ख कहा और भी न जाने क्या-क्या कहा.भेड़ें उसकी जय-जयकार करती रहीं.एक दिन वह उन्हें छोड़कर न जाने कहाँ चला गया. अब भेड़ें जंगल में भटकती फिर रही हैं.असमंजस में हैं.क्या करें? कहाँ जाएँ ?अपने झुंड में कैसे लौटें? 'वह' स्वार्थी भेड़ों का तमाशा देख रहा है. कुछ भेड़ें पागल होकर पेड़ों से सिर टकरा रहीं हैं. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. अब उनका क्या होगा,किसी को नहीं पता !

Wednesday, 17 October 2012

कविता / आकाश को छूने से पहले / अशोक लव

किशोरावस्था की सपनीली रंगीन दुनिया
गडमडगड हो गई  

कुवारे कच्चे सपनों का काँच तड़क गया
चुभ गई किरिचें मन-पंखुड़ियों पर
पिता ! क्यों छोड़ दिया तुमने अपना संबल
इतनी जल्दी
अभी तो उतरी ही थीं आँखों में कल्पनाएँ
कैनवस बाँधा ही था
इकट्ठे कर  रहा था रंग
तूलिका कहाँ उठा पाया था बिखर गया सब.
उतर आया पहाड़-सा बोझ कंधों पर
आ खड़ी हुई
जीवन की पगडंडियों में एवरेसटी चुनौतियाँ
छिलते गए पाँव
होते गए खुरदरे करतल
धंसते गए गाल
स्याह होते गए आँखों के नीचे धब्बे.
गमले में अंकुरित हो
पौधे के आकाश की ओर बढ़ने की प्रक्रिया
आरंभ ही हुई थी
कहाँ संजो सका सपने पौधा
आकाश को छूने के.
किशोरावस्था ओर वृद्धावस्था के मध्य
रहता है लंबा अंतराल
जीवन का स्वर्ण-काल
फिसल गया
मेरी हथेलियों में आते-आते.
तुम छोड़ गए मेरे कंधों पर
अपने कंधों का बोझ
इसलिए नहीं चढ़ पाया
यौवन की दहलीज पर
तुम भी नहीं छू पाए थे मेरी भांति
यौवन की चौखट
तुम भी धकेल दिए गए थे
किशोरावस्था से वृद्धावस्था के आँगन में .
तुम्हारे रहते जानता तो पूछता—
क्यों आ जाता है हमारे हिस्से
पीढ़ी –दर-पीढ़ी इतनी जल्दी
यह बुढापा ,
क्यों रख दिया जाता है
बछड़े के कंधों पर
बैल के कंधों का बोझ .
पिता ! तुमने बता दिया होता
तो नहीं उगाता किशोर मन में
यौवन की फसलों के
लहलहाते खेत.

Saturday, 13 October 2012

अशोक लव द्वारा संपादित लघुकथा संग्रह-खिड़कियों पर टंगे लोग

अशोक लव द्वारा संपादित लघुकथा संग्रह-खिड़कियों पर टंगे लोग

Saturday, 6 October 2012

अशोक लव को ' याज्ञवल्क्य पत्रकारिता सम्मान '

मोहयाल सभा देहरादून की ओर से 23 सितम्बर 2012 को पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान के लिए 'याज्ञवल्क्य पत्रकारिता पुरस्कार'से सम्मानित किया गया। मेहता ओ पी मोहन सम्मानित करते हुए।अशोक लव को याज्ञवल्क्य पत्रकारिता सम्मान 

Bhai Mati Das Trust Ludhiana Honored Ashok Lav

BMD Trust Ludhiana honoured Ashok lavon 30th September 2012for editing Mohyal Mitter,  monthly for the last 25 years