Tuesday, 23 December 2014

अशोक लव की कविता ' आगे बढ़ '



आगे बढ़
---अशोक लव
आगे बढ़ आगे बढ़ आगे बढ़,
सिर उठा सीना तान आगे बढ़.

मुश्किलों के सीने पर पाँव रख,
लक्ष्यों पर टिका निगाह आगे बढ़.

क़दमों में बिजली-सी गतियाँ भर ,
लहरों को दे धकेल आगे बढ़.

राह नहीं आसान सब कह रहे ,
प्रगति-पथ पुकारता आगे बढ़.

अंधकार की कालिमा चीर कर ,
रोशनी से जगमगा आगे बढ़ .

दिशा–दिशा आज तुमसे कह रही
ध्वज उठा आगे बढ़ आगे बढ़.
*सूर्य अपार्टमेंट,सेक्टर-6
द्वारका ,नई दिल्ली -110075 (M)+91-9971010063

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