सिरसा ( हरियाणा ) से वरिष्ठ साहित्यकार और हरियाणा हिन्दी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष प्रोफेसर रूप देवगुण का फ़ोन कल ( २५ जुलाई ) को प्रातः आया । वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती रक्षा शर्मा कमल के निधन का दुखद समाचार देते हुए उनका कंठ अवरुद्ध था। वे उनकी अंत्येष्ठी में शामिल होने जा रहे थे। समाचार सुनते ही मन भर आया।
रक्षा शर्मा कमल जी से पहली भेंट सन् १९८५ में हुई थी। साहित्यिक कार्यक्रम में मुख्य - अतिथि के रूप में हम गए थे। सभी अतिथि साहित्यकारों को उन्होंने अपने निवास पर भोजन कराया था। इसके पश्चात् जब-जब सिरसा गए भोजन उनके यहाँ ही किया। बड़ी बहन-सा स्नेह बरसाती रक्षा जी सबका ध्यान रखती थीं ।
दिल्ली में उनके भाई रहते हैं। जब दिल्ली आतीं तो फ़ोन करतीं। उनसे मिलने उनके भाईसाहब के निवास पर जाते। साहित्य और पुस्तक प्रकशन पर चर्चा होती। वे मेरे निवास पर आती। बड़ी बहन की तरह मिठाई लेकर आतीं।
सन् १९९२ में उनकी पुस्तक " रक्षा सूक्ति कोश " प्रकाशित हुई । इसकी भूमिका हमने लिखी थी।
उनका जन्म १६ मार्च १९३६ को पटियाला में हुआ था। उनके पति स्वर्गीय श्री केशव कमल शर्मा शास्त्री जी नेत्रहीन थे.
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