लघुकथा: छोटा भाई – अशोक लव
पुत्र के जन्म-दिन की खुशी में बाबू अनिल वैद ने तम्बू लगवाया. हलवाई बिठाया. मित्रों-रिश्तेदारों को न्यौता दिया.
एक-एक कर मेहमान आते. उपहार देते.
ताऊ जी बड़ा पालना लाए. बड़ी बुआ
सैर-गाड़ी लाई. चाचा जी नहाने का टब लाए.छोटी बुआ खिलौनों का ढेर लाई. मामा
विदेशी वस्त्रों के सेट लाए.
ऋतु आँखें फाड़े इन उपहारों को देख रही
थी. उसके लिए ऐसे उपहार कोई नहीं लाया था. पूर्वा के लिए भी ऐसे उपहार कोई
नहीं लाया था. प्राची को भी ऐसे उपहार नहीं मिले थे. हेमंत को ही ऐसे उपहार
क्यों मिले थे? ऋतु से रहा नहीं गया. सीधे माँ के पास भागी. कारण पूछने
लगी.
“ हेमंत तुम तीनों बहनों के बाद जो पैदा
हुआ है. पूरे खानदान में पहला लड़का हुआ है. इसीलिये सब इतने सुंदर-सुंदर
उपहार लाए हैं.”-माँ ने समझाते हुए कहा.
ऋतु को पहली बार लगा कि उसके घर में कोई
विशेष घटना घटी है. उसका बाल-मन पहली बार भाई और बहन के अंतर को पहचान रहा
था. वह स्वयं को उस नन्हें भाई से छोटा , बहुत छोटा महसूस कर रही थी.
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पुस्तक :सलाम दिल्ली @अशोक लव
*प्रवासी दुनिया के 25 जून 2013 अंक में प्रकाशित