Harish: अशोक जी नमस्कार भले ही आप इंडिया से बाहर हों लेकिन आपकी रचनाओं के मध्यम से आपको याद करता रहता हूँ । ' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पुस्तक पढ़ी . सोच रहा था कि कभी कभार कुछ कविताएँ पढ़ लिया करूंगा , लेकिन एक ही बैठक में पता ही नहीं चला कि कब पुस्तक कि अन्तिम रचना आ गई . वर्षों बाद किसी पुस्तक में इतनी संवेदना और उत्कृष्ट लेखन शैली का आनंद मिला . पिछले काफ़ी समय से कई पुस्तकों की समीक्षा करता रहा हूं , कुछ अब भी घर पर रखी हैं , लेकिन उनकी समीक्षा करने का मन नहीं करता , लगता है जैसे कविता में कुछ अच्छा तलाशना होगा . ऐसी तलाश किसी भी कृति के लिए शुभ संकेत नहीं होता । मुझे जो चाहिए था वो बिना तलाशे आपकी पुस्तक में मिल गया। पुस्तक भेजने के लिए शुक्रिया नहीं कहूँगा ।इससे आपके और मेरे बीच की सम्बंधात्मकता को चोट पहुँचेगी । इतनी बेहतर पुस्तक लिखने के लिए हार्दिक बधाई। अगली पुस्तक की प्रतीक्षा रहेगी , सादर , डॉ . हरीश अरोड़ा |
Tuesday, 28 April 2009
' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' में संवेदना और उत्कृष्ट लेखन शैली का आनंद मिला
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