Monday 6 April, 2009

राहत इंटरनेशनल का समारोह : अंबाला में एक दिन / अशोक लव

चार अप्रैल को अंबाला जाने का सुअवसर मिला। श्री जे पी मेहता ने बार-बार आने का आग्रह किया था । वे सहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित भी करना चाहते थे । यह उनका स्नेह-भाव है।
श्री जे पी मेहता मोहयाल सभा अम्बाला के प्रेजिडेंट हैं , जनरल मोहयाल सभा के सेक्रेटरी हैं इसके साथ- साथ वे अम्बाला शहर के प्रतिष्ठित समाज सेवी भी हैं
' राहत इंटरनेशनल ' के चेयरमैन के रूप में वे जन-जन की जो सेवा कर रहे हैं इसका पता मोहयालों को बहुत कम है। मुझे भी उनके इस व्यापक रूप के दर्शन अम्बाला में मिले।
अप्रेल को 'राहत इंटरनेशनल' के रेजिंग - डे समारोह में ' गेस्ट ऑफ़ ओनर ' के रूप में भाग लेने गए थे . अयोध्या कमीशन के चेयरमैन पूर्व चीफ जस्टिस एम एस लिब्राहन मुख्य - अतिथि थे।
श्री जे पी मेहता ने इस संस्था की स्थापना ३१ वर्ष पहले की थी। आज यह संस्था अम्बाला शहर की प्रमुख सामाजिक संस्था है। इसके पीछे श्री जे पी मेहता का योगदान सबसे प्रमुख है।
यह संस्था नेत्र दान, रक्त दान और अंग दान के कार्य करा रही है। इसके साथ डॉक्टर , पत्रकार , उद्योगपति ,शिक्षाविद और न्यायाधीश आदि जुड़े हुए हैं। समारोह में श्री जे पी मेहता के विषय में अनेक नई जानकारियाँ मिलीं।
श्री जे पी मेहता ने मरणोपरांत अपने समस्त अंग पी जी आई चंडीगढ़ को दान करने का निर्णय किया है उन्होंने इस सम्बन्ध में कोर्ट में वसीयत भी कर दी है। उनके इस कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। मोहयाल होने के नाते हमें उन पर गर्व है। जीते हुए भी वे समाजसेवा में संलग्न है। और मरने के बाद भी वे दूसरों के काम आना चाहते हैं। इससे बड़ी मानव-सेवा और क्या हो सकती है ! वे धन्य हैं और उनका परिवार भी धन्य है।
श्री जे पी मेहता का नगर में जो सम्मान है वे हम सबके लिए प्रेरणादायक है। ' राहत इंटरनेशनल ' ने अनेक लोगों को नेत्र-दान के लिए प्रेरित किया है। उनके प्रयासों से आज दो व्यक्ति दान में प्राप्त नेत्रों से इस संसार को देख सके हैं
राहत इंटरनेशनल के वाइस चेयरमैन सरदार तेजिंदर सिंह वालिया ने शोध करके प्रमाणित किया है कि सन् १८५७ की क्रांति का आरंभ अम्बाला से हुआ था कि मेरठ से उनके इस ग्रन्थ पर भी समारोह में चर्चा हुई। यह राष्ट्रीय स्तर का कार्य है इस कार्य ने इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। विश्वविद्यालयों में इस पर चर्चा होनी चाहिए भारत सरकार को इतिहास की पुस्तकों में इसका उल्लेख करवाना चाहिए ।समारोह में वे मंच पर मेरे साथ ही बैठे थे मैंने उन्हें बधाई दी और इतिहासवेत्ताओं तक अपनी जानकारियाँ पहुँचने का परामर्श दिया।
जस्टिस एम एस लिब्राहन ने भी सरदार तेजिंदर सिंह वालिया के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की
मोहयालों में श्री जे पी मेहता जैसे समर्पित और ज़मीन से जुड़े समाजसेवी बहुत कम हैं।वे " जय मोहयाल " के परामर्शदाता हैं। हमें उन पर गर्व है कि वे मोहयालों के नाम को रोशन किए हुए हैं

No comments: