चलो, एक कविता अपने लिए लिखें.
बहुत दिनों  से  अपने आप से बातचीत नहीं की
अपना हाल-चाल नहीं पूछा 
दूसरों की इच्छाएँ पूरी करते-करते 
अपना ही हाल पूछना याद नहीं रहा. 
लगता है सब ठीक ही है  
क्योंकि कुछ ख़ास नहीं है.
किसी ने हमसे हमारे विषय में नहीं पूछा 
सब व्यस्त हैं अपनी-अपनी दुनिया में मस्त हैं.
हम उनकी दुनिया में घूमते-घूमते 
अपनी ही गलियों के रास्ते भूल गए
चलें, आज अपने मन की गलियों में घूम लें. 
स्वयं से  स्वयं का हाल पूछ ले.
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 @ अशोक लव 
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