Saturday, 28 January 2017

अशोक लव द्वारा समीक्षा:पुस्तक- खिड़की से झाँकते ही ,कवयित्री-शील कौशिक

प्रकृति को कविताओं में समेटने की सार्थकता 
-अशोक लव
‘खिड़की से झाँकते ही’ डॉ .शील कौशिक की प्रकृति को समर्पित कविताओं का अनूठा संग्रह है I अनूठा इसलिए कि कवयित्री ने प्रकृति को केंद्र में रख कर मानव जीवन के परिवेश को छोटी –छोटी कविताओं में अभिव्यक्त किया है I दस भागों में बंटे इस संग्रह की प्रत्येक कविता सीधे प्रकृति से संबंधित है I इन्हें पढ़ते समय कभी पर्वत शिखर मन को छूते हैं, कभी फूलों की मुस्कानें मन मोह लेती हैं तो कभी पक्षियों की चहचहाहट गुनगुनाते हुए मन पर दस्तक देने लगती है I ‘पेड़ सुनता है / घंटे दो घंटे तक / सूर्यास्त के किस्से / दोपहर के प्रसंग / सूर्योदय की महिमा / रात के रहस्य / ज्ञानी – ध्यानी गुरु की नाई / भागवत कथा के जैसे’ (गुरुवर पेड़) यह कविता डॉ .शील कौशिक के कवित्व –सामर्थ्य की एक झलक दिखाती है I मानवीकरण अलंकार, प्रतीक, बिम्ब, शब्द रेखांकन, सहजता और भावों की गतिशीलता आदि के कारण कवयित्री अन्य कविताओं में भी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाती हैं I
मुक्त-छंद की कविताओं में कवि–कवयित्रियाँ यदि सजग नहीं होते और भावों का सीधा आँखों देखे हाल की भांति वर्णन करते चले जाते हैं, तो कविता, कविता बनते–बनते रह जाती है I डॉ. शील कौशिक की कविताओं ने मुझे इसलिए प्रभावित किया है क्योंकि उनकी कविताएँ कविताएँ हैं, सपाटबयानी नहीं है I डॉ. शील कौशिक परिपक्व कवयित्री हैं I यह परिपक्वता उनमें शनै:-शनै: आती चली गई है I उनकी सूक्ष्म अवलोकन दृष्टि ने जीवन को, प्रकृति को गहनतम और सूक्ष्मतम ढंग से अनुभव किया है I इसी अनुभव को उन्होंने इन कविताओं में भावसहित सशक्त रूप से अभिव्यक्त किया है I
चिड़िया का गीत, एक चिड़िया, बिटिया सी धूप, असमंजस में हैं परिंदें आदि कविताएँ अत्यंत प्रभावशाली हैं I कवयित्री सीधे प्रकृति से जुड़ी हैं या कवयित्री का मन प्रकृतिमय है, दोनों ही स्थितियाँ उनके कवित्व–सामर्थ्य को ऊर्जा प्रदान करती हैं I कवयित्री के प्रिय विषय हैं वृक्ष, सूर्य, चंद्रमा, पर्वत, पुष्प,ऋतुएँ, बादल, वर्षा, आकाश, नदियाँ I इनके माध्यम से उन्होंने स्वयं को, अपने जीवन-दर्शन को,प्रकृति प्रेम को कविता के रूप में सार्थक अभिव्यक्ति दी है I डॉ. शील कौशिक संवेदनशील कवयित्री हैं I नारी होने के कारण और भी अधिक भावुक हैं I उनकी संवेदनशीलता, भावुकता विभिन्न प्रतीकों के माध्यम से, अधिकांश कविताओं में स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है I यह संग्रह नयापन लिए है, लीक से हट कर है इसलिए विशिष्ट हो गया है I यह संग्रह प्रकृति की ओर लौटने का संदेश देता है I हिंदी साहित्य जगत में ‘खिड़की से झांकते ही’ जैसे कविता–संग्रह कम प्रकाशित हुए हैं I आशा है इसकी कविताएँ प्रकृति के प्रति मानव – चिन्तन को दिशा देंगी I
-अशोक लव, फ़्लैट -363,सूर्य अपार्टमेन्ट, सेक्टर -6,द्वारका, नई दिल्ली-110075,(मो)9971010063

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