हिंदी
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी है
-अशोक लव
“हिंदी भाषा में प्रचुर और विविधतापूर्ण साहित्य की भरमार है. इसमें भारत की
आत्मा के दर्शन किए जा सकते हैं. ग्रामीण परिवेश
में किसानों की दशा हो या नगरीय संस्कृति हो, हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट लेखन हो
रहा है. आज लोकार्पित पुस्तकों में ही ले लें, इनकी कविताएँ, लघुकथाएँ और
आत्मकथात्मक -जीवनी सभी श्रेष्ठता लिए हैं. हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय पहचान है.
विश्व पुस्तक मेले में हिंदी की हज़ारों पुस्तकें प्रदर्शित हो रही हैं और बिक रही
हैं. यह सुखद स्थिति है.”- नेशनल बुक ट्रस्ट के ‘साहित्य संवाद’
कार्यक्रम में ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, अमेरिका’ की दिल्ली शाखा
के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार अशोक लव ने साहित्यकारों और हिंदी प्रेमियों को संबोधित
करते हुए कहा. वे इस संवाद-गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे. इसका आयोजन ‘इंद्रप्रस्थ
लिटरेचर फेस्टिवल’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय किसान परिषद’ द्वारा संयुक्त रूप से किया
गया था.
साहित्य, समाज,
किसान और मीडिया विषयों पर आयोजित कार्यक्रम की मुख्य-अतिथि सुशीला मोहनका (पूर्व
अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, संयोजक अं.हि.समिति भारत) इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अमेरिका से
विशेष रूप से आईं थीं. परिचर्चा का आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अमेरिका में
‘ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति’ के द्वारा हिंदी भाषा और संस्कृति के
प्रचार-प्रसार में तीस वर्षों से कार्य कर रही हों. हमें भारत में भी हिंदी के
प्रति उचित धारणा बनानी चाहिए. अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए बच्चों और
युवाओं को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्साहित करना चाहिए. लगभग
दो सौ श्रोता उनके भाषण के मध्य लगातार तालियाँ बजाते रहे.
वरिष्ठ पत्रकार और ‘
द्वारका परिचय ’ के प्रबंध संपादक एस.एस. डोगरा ने विशिष्ट-अतिथि के रूप में
मीडिया की भूमिका पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज मीडिया समाज के सभी क्षेत्रों
के लिए सशक्त माध्यम बन चुका है. मीडिया सामाजिक सोच को प्रभावित करता है. प्रिंट
मीडिया हो या इलैक्ट्रोनिक दोनों की अहम भूमिका है. इस स्थिति में मीडियाकर्मियों
की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. उन्होंने इस प्रकार की महत्त्वपूर्ण गोष्ठी आयोजित
करने के लिए अशोक लव तथा डॉ.चंद्रमणि ब्रह्मदत्त का धन्यवाद किया. उन्होंने हिंदी
पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति पर भी अपने विचार रखे.
विशिष्ट-अतिथि मनीष
आजाद जो एफ.एम. चैनल के उदघोषक हैं,
उन्होंने मीडिया के रूप में रेडियो की भूमिका और हिंदी भाषा के महत्त्व पर बोलते
हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि व्यावसायिक रूप में वे हिंदी भाषा के साथ सीधे जुड़े
हुए हैं. हिंदी हमारे मन की भाषा है. विशिष्ट-अतिथि और सुपरिचित कवि अरविंद पथिक
ने किसानों और साहित्य के संबंधों पर बोलते हुए कहा कि हिंदी साहित्य में ग्रामीण
परिवेश पर हज़ारों रचनाएँ लिखी गई हैं. किसानों की दशा-दुर्दशा पर आज भी खूब लेखन
हो रहा है. इससे सामाजिक सोच बदली है.
इस अवसर पर अध्यक्ष वरिष्ठ
साहित्यकार अशोक लव, मुख्य-अतिथि श्रीमती सुशीला मोहनका ने ‘सुखद सुनहरी धूप’
(काव्य
संग्रह,अनिल उपाध्याय), आशा की किरणें (लघुकथा-संग्रह,सत्यप्रकाश
भारद्वाज), लालसा (काव्य-संग्रह, वीरेंद्र कुमार मंसोत्रा), शब्दों की
उड़ान(काव्य-संग्रह,मुकेश निरूला), मेरी कहानी मेरी जुबानी(संपादक-सत्यप्रकाश
भारद्वाज) पुस्तकों का लोकार्पण किया. शीघ्र प्रकाशित होने वाले ग्यारह कवियों के
संग्रह ‘हथेलियों पर उतरा सूर्य’ (संपादक-अशोक लव,सत्यप्रकाश भारद्वाज) के आवरण का
भी लोकार्पण किया गया.अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति अमेरिका की पत्रिका ‘विश्वा’
के जनवरी अंक का लोकार्पण किया गया, जिसकी प्रतियाँ श्रोताओं में वितरित गईं. 15 जनवरी 2017 को आयोजित परिचर्चा-गोष्ठी का कुशल संचालन युवा कवि आशीष श्रीवास्तव ने किया.
दोनों संस्थाओं की ओर से उन्होंने अध्यक्ष, मुख्य-अतिथि, विशिष्ट-अतिथियों और
श्रोताओं का धन्यवाद किया.
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