स्वर्गीय मनोहर लाल रत्नम के निधन की सूचना आरिफ जमाल ने ईमेल से दी। स्तब्ध रह गया। अमेरिका आने से पूर्व ' खिड़कियों पर टंगे लोग ' लघुकथा - संग्रह के प्रूफ़ लेकर वे मेरे कार्यालय आए थे। छः मई की फ्लाईट थी। उससे पूर्व पुस्तक के अन्तिम प्रूफ़ पढ़ लेने आवश्यक थे । उनका पुत्र अमित कोम्पोसिंग कर रहा था।
उनके साथ लगभग एक घंटे तक बातें हुईं । स्वस्थ लग रहे थे। कहने लगे बुखार रहता है। जांच करवाता रहता हूँ , कुछ नहीं निकलता ।
वे हास्य और ओज के कवि थे। उनका जीवन संघर्षमय रहा।
पत्नी की मृत्यु के पश्चात् वे टूट से गए थे।
वे मित्रता निभाना जानते थे। श्री श्रवण राही की मृत्यु के पश्चात् उन्होंने उनकी स्मृति में आयोजन किए। हमारा संपर्क लगभग ३० वर्ष का था। 'दिल्ली साहित्य समाज ' संस्था की स्थापना करके उन्होंने और भाई अशोक वर्मा ने अनेक साहित्यिक आयोजन किए। दिल्ली साहित्य समाज के आयोजनों ने दिल्ली भर में धूम मचा रखी थी। हमने अनेक आयोजनों में भाग लिया था।
पिछले महीने ही उन्हें ; विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ ' ने ' विद्यावाचस्पति ' की उपाधि से अलंकृत किया था। हमने उन्हें फ़ोन पर बधाई दी थी।
ज़मीन से जुड़े रत्नम जी विनम्र स्वभाव के कवि थे। हिन्दी अकादमी दिल्ली की ओर से आयोजित ' लाल किले ' के कवि सम्मेलनों में उन्होंने भाग लिया था।
आज ही उनके पुत्र से फोन पर बात की है। सांत्वना दी है।
श्री मनोहर लाल रत्नम जी को विनम्र श्रधांजलि !
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