Sunday, 31 May 2009

हवाओं की तलाश



सामने पहाड़ है
दिन-रात यूँ ही खड़ा ।
मौसम के साथ रंग बदल लेता है
कभी हरे -भरे पेड़ों की हरियाली ओढ़ लेता है
और कभी धुंध भरे बादलों के पीछे से झांकता है।
धूप खिलती है तो उससे छनकर आती हैं गरम हवाएँ,
और धुंध के पीछे से
शीतल हवाएँ आकर भिगो देती हैं .

हवाओं के संग कितनी - कितनी यादें
गरम-गरम यादें
मन को छू जाती हैं ।
बहुत दूर आ जाने के पश्चात्
इन हवाओं की तलाश रहती है ।
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*थाउजेंड ओ़क्स , कैलीफोर्निया

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