Friday, 22 January 2010

धुंध / अशोक लव

धुंध
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मित्र !
जब धुंध जब इतनी घिर जाए
कि शीशे के पार कुछ दिखाई न दे
तब -
हथेलियों से शीशे को पोंछ लेना
फिर
शीशे के पार देखना
सब कुछ साफ़ साफ़ दिखने लगेगा।

मैं तो वहीँ खड़ा था
जहाँ अब दिखाई देने लगा हूँ
सिर्फ धुंध ने तुम्हे
बहका रखा था।
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Kshama Bali
Kshama Bali
bilkul sahi...............sirf dund saf karne ki der ha.......

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