नमन पिता !
28 अगस्त 1980
28 अगस्त 2010
विदा हुए हो गए वर्षों
और हो तुम पल-पल संग .
स्मृतियों की लहरें उमड़-उमड़ आती हैं
बचपन से युवावस्था तक का
लम्बा जीवन
कितने - कितने रूप देखे थे तुम्हारे,
जूझते हुए
संघर्षरत
विपरीत परिस्थियों से
--नहीं मिट पाता स्मृति पटल से
यह चित्र तुम्हारा.
स्नेह का निर्झर
अब कहाँ है ?
भावनाएँ जब प्रबल हो जाती हैं
शब्द बिखर-बिखर जाते हैं .
नमन तुम्हें पिता
नमन!
इस देह में हैं जब तक
श्वास तब तक तुम जीवित रहोगे
इसके संग .
हृदय
की प्रत्येक धड़कन के संग
तुम सदा धड़कते रहोगे
पिता !
बहुत छोटा -सा शब्द
समेटे एक संसार
जिसे तुमने बनाया था
इस संसार में अब भी तुम हो पिता
हाँ हो तुम पिता .
पुण्य-तिथि पर नमन पिता !
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