Saturday 4 October, 2008

डॉ आनंद सुमन सिंह :मैं हिंदू क्यों बना

डॉ आनंद सुमन सुमन सिंह की नई पुस्तक " मैं हिंदू क्यों बना " प्रत्येक साहित्य के सुधि पाठक को अवश्य पढ़नी चाहिए। इसके लिए पठन की दृष्टि में संकीर्णता नहीं होनी चाहिए।
पुस्तक मिलने पर इसे पढने की उत्सुकता हुई और १७६ पृष्ठों की पुस्तक ने सप्ताह भर स्वयं में निमग्न रखा। अनेक नए तथ्य उजागर हुए। अभी तक हिन्दुओं का अन्य धर्मों में अनेक कारणों से धर्मांतरण सुना-पढ़ा था। इस्लाम से हिंदू धर्म में आने वाले के विषय में जानने की उत्सुकता तो स्वाभाविक थी।
पुस्तक पर बात करने से पहले डॉ आनंद सुमन सिंह के विषय में बात कर लें। वे देहरादून से "सरस्वती सुमन" पत्रिका प्रकशित करते हैं। हिन्दी की श्रेष्ठ पत्रिका है। मेरी अनेक रचनाएँ इसमें प्रकाशित हुई हैं। राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका है। उनके कुशल संपादन की प्रशंसा करनी पडेगी । देश भर के साहित्यकार इसमें छपते हैं।
यही आनंद सुमन सिंह इस्लाम धर्म से हिंदू धर्म में आए हैं।
उन्हीं के शब्दों में _"वैदिक धर्म में दीक्षित होकर मैंने कोई धर्म - परिवर्तन नहीं किया,अपितु सन१७५२ में अपने राजपूत पूर्वजों द्वारा किए गए पाप का प्रायश्चित मात्र किया है। जहाँ तक धर्म परिवर्तन का प्रश्न है मेरी मान्यता यह है कि संसार में मात्र एक ही धर्म है- सत्य सनातन मानव (वैदिक) धर्म। ....जारी

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