Work: | This is the collection of well known writer Ashok Lav's laghukathaen (Short stories ) |
By | Ashok Lav |
Language: | Hindi http://openlibrary।org/b/OL21047647M/Salaam-Dilli-%28Ashok-Lav%27s-laghukathaen-%29 |
Friday, 28 August 2009
अशोक लव का लघुकथा संग्रह " सलाम दिल्ली "
बंद दरवाजों पर दस्तकें ( लघुकथा संग्रह )
|
Thursday, 27 August 2009
Coming on terms with life
Archana malik
Sitting by myself,
Observing the world around,
People pass by,
Of different shades & design,
No one seems the usual kind,
All unique& just fine,
& then again,
They all seem the same…
Everythings wonderful
All is colourful,
Y then I see the world in
Only Black & white,
To me its always dark & bright,
Ugly & fine,
Wrong & right,
Then Y the colour grey,
Leaves me in dismay.
Y cant I just close my eyes
& enjoy all datz gud
all datz bad…
Y cant I take the world as it is,
I know am insane!!
Exhausted,frustrated,bewilderd,
Oh com’on !!
Am coming on terms with Life,
Being unreal,
It should be so much easier to deal
With the world,
My! Itz so complicated,
Mystified…am a little surprised,
Words no longer come naturally…
Something takes me years back…
Still in school,
I was twelve,
Riding my bicycle
Was racing with kids…
didnt know how..
But I had to win
I knew I will
& minutes later
there I was …
leading them all…
that’s How I was born…
I lived on…
Am tangled with all..
Am cought in the trap…
O I never wanted to be cruel ,
Am just being me..
& this is how it turns out to be..
am confused
am elated
& this is my paradise
my bliss
this is my gift..
this is what I created all these years…
from here ..I take on...
being a day dreamer
at times I block out reality
but in actuality,
am still that girl,
who on an evening ,
came running to her dad,
she laughed &, laughed again
She is happy,
Be it the sun or the rain ,
Things always make sense..
What I write here,s is pure nonsense…
Poetry-good or bad has been my essence.
'''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
*अर्चना मलिक मेरी छात्रा रही हैं।
Wednesday, 26 August 2009
दिया जल रहा है मद्धम - मद्धम/ अशोक लव
Tuesday, 25 August 2009
अशोक लव का ट्वीट ट्विटर पर
10:33 PM Aug 21st from web
माई ट्वीट्स / अशोक लव
- See the movie "THE COVE" and save Japanese Dolphins. A noble cause.6:25 PM Aug 20th from web
- Mohyal youth Camp is from 2nd to 4th October at Dehradoon. Waiting for all of you.6:00 PM Aug 20th from web
- Matter sent to press for September issue of Mohyal Mitter.5:57 PM Aug 20th from web
- " Jinnah - India, Partition, Independence " - Ghost of Jinnah is very strong Mr Jaswant! He got you expelled.1:22 PM Aug 19th from web
- chunav kya hare apne hee ghar ke tinke-tinke bikherne men lag gaye.no ideologies, no coomittment, only sattaa, kursee. vah rajneeti!1:12 PM Aug 19th from web
- write a book on controversial topics, give interviews on tv , forget all ideologies, your book will sell like hot cake .Maujan hee Maujan!1:07 PM Aug 19th from web
- "If you can't sing just recite the lines of a song / poem and see the effect."-Ashok Lav9:51 PM Aug 15th from web
- Actor SRK was detained at US airport. They followed their rules. If someone don't like , don't go there. Indian TV channels are cashing it.9:27 PM Aug 15th from web
पता न चला / अशोक लव
ज़िंदगी कब आगोश में ले ली , पता ही न चला ।
Friday, 14 August 2009
' वुमेन ऑन टॉप ' हिन्दी पत्रिका में अशोक लव
अशोक लव के कविता संग्रह " लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान " की कविताओं से प्रभावित होकर ' वुमेन ऑन टॉप ' पत्रिका में इसी नाम से स्थायी स्तम्भ जून अंक से आरंभ किया गया है। इसमें " लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान " कविता प्रकाशित की गई है ।* पुस्तक की भूमिका की पंक्तियों के साथ टिप्पणी प्रकाशित की गई है - "आज लड़कियाँ पढ़ -लिखकर उन सब क्षेत्रों में कार्य करने लगी हैं जो कल तक पुरुषों के लिए ही सीमित थे। व्यावसायिक क्षेत्रों में वे जहाँ-जहाँ कार्य कर रही हैं , पुरुषों से अधिक सफलता प्राप्त कर रही हैं। नारी के प्रति पुरुषों के द्वारा निर्धारित मापदंड झूठे सिद्ध हो रहे हैं । स्कूलों में पढ़ रही लड़कियों के परीक्षा परिणाम लड़कों से अधिक श्रेष्ठ आ रहे हैं । "
इन्हीं लड़कियों को और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हम एक नया कॉलम शुरू कर रहे हैं --लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान। इस कॉलम में प्रस्तुत कविता प्रसिद्ध साहित्यकार श्री अशोक लव जी की है और यह केवल एक कविता ही नहीं है वरन यह एक शंखनाद है , उस पुरूष समाज को जो लड़कियों के प्रति अपनी संकीर्ण सोच रखता है। यह कविता डंके की चोट पर कह रही है , पुरूष समाज को की वह अपनी मानसिकता को बदले और लड़कियों को जहाँ तक हो प्रोत्साहित करे।
जून अंक में रश्मि प्रभा द्वारा इस पुस्तक की समीक्षा भी प्रकाशित की गई है। इसी अंक से पत्रिका के तीन पृष्ठों का स्तंभ शुरू कर दिया गया है।
जुलाई अंक में इसी पुस्तक से " सदाबहार बेटियाँ " कविता और अगस्त अंक में " उत्तरों को तलाशती लड़की " कविता प्रकाशित हुई है।
डॉ (श्रीमती ) कमल अग्रवाल द्वारा संपादित यह बहुरंगी आर्ट पेपर पर छपने वाली पत्रिका हर परिवार के लिए अनिवार्य लगती है। सामाजिक सोच को अभिव्यक्त करने वाली ऐसी साफ़-सुथरी व्यावसायिक पत्रिकाएँ कम हैं। पता है -
ऐ - ९६, सेक्टर-६५, नॉएडा-२०१३०१,फ़ोन-०१२०-४२७९५०१-०३
* लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान कविता इसी ब्लॉग में है।
-- सर्वेश तिवारी