अशोक लव
Friday, 7 August 2009
उलझन / अशोक लव
कुछ
कह
दिया
होता
तो
इंतज़ार
न
रहता
,
खामोशियों
के
झुरमुटों
में
उलझे
पड़े
हैं
हम !
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