अशोक लव
Thursday, 6 August 2009
टूटे सिलसिले / अशोक लव
आप
थे
,
हम
थे
और
थीं
कितनी
बातें
सोचा
था
चलेगा
सिलसिला
ज़िंदगी
भर
न
जाने
किस
हवा
ने
कैसा
रुख
किया
कब
सिलसिले
टूट
गए
पता
न
चला
!
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