Tuesday, 2 December 2008

कंधे पर मानवता / * अशोक लव


घायल भारत
उसका कुछ नहीं लगता था
बस इतना रिश्ता था -
जब गोलियां चलीं तब
वह बच गया
और भारत के माथे को चीरती गोली
खून बहाती निकल गई ,
उसने उठा लिया
कंधे पर
भारत को
और दौड़ पड़ा अस्पताल की ओर।
दनदनाती गोलियों की
बौछारों की परवाह किए बिना
वह दौड़ता चला गया
उसे नहीं याद आई पत्नी
उसे नहीं याद आए बच्चे
उसने नहीं पूछा भारत से उसके प्रान्त का नाम
उसने नहीं पूछा भारत का मज़हब
उसने अल्लाह से यही दुआ की
बस बच जाए उसके कंधे का देशवासी।
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*२६.११.२००८ ( मुंबई में आतंक )
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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