सागर की लहरों को
छोड़कर आ गया
सागर-पक्षी
करने बातें
मन की ।
विशाल पंखों को समेट
आकर बैठ गया मौन
न उसने कुछ कहा
न मैंने ।
हमने कर ली बातें
कुछ ही पलों में ।
बहुत बार
कहने के लिए
शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
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*सैंटा बारबरा , प्रशांत महासागर समुद्र - तट , 19 जून 2009
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