Thursday, 4 March 2010

आत्मबल (कविता) / अशोक लव

'वुमेन ऑन टॉप' हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका है। इसके मार्च २०१० अंक में " जय मोहयाल " के चीफ़ एडीटर श्री अशोक लव की कविता प्रकाशित हुई है। प्रस्तुत है यह कविता-
आत्मबल
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सहते हैं पर्वत
बर्फीली ठंडक,
तीव्र अंधड़
कंपाते भूकंप ,
स्वीकारते हैं चुनौती
आकाश की
नहीं आने देते निकट
निराशाओं की हवाएँ।

पर्वतों के वक्षस्थल पर
अंकित चिह्न ,
जीवंत गाथाएं हैं उनके संघर्षों की

एकांत में
एकांत को जीते हैं पर्वत।

बहुत साहसी होते हैं
अपनी -अपनी लड़ाई लड़ते लोग ,
एकांत में
पर्वतों की तरह सब कुछ सहकर
आगे बढ़ते लोग।
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प्रस्तुति- पुलकित वैद

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