Friday, 19 March 2010

ब्रज किशोर पाठक की पुस्तक अंतरंग आकलन लोकार्पित : बधाई!

अपने पुरखों के लेखन को भी प्रकाश में लाएं : दिनेश्वर प्रसाद
रांची : हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि अंतरंग आकलन पुस्तक का लोकार्पण एक प्रस्थान बिंदु है। इस तरह के काम और होने चाहिए। हमें अपने समकालीन लेखकों पर ध्यान देने के साथ-साथ अपने पुरखों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। बुधवार को रांची विवि के जनजातीय भाषा विभाग के सभागार में डा. ब्रजकिशोर पाठक लिखित पुस्तक अंतरंग आकलन का लोकार्पण किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रसाद ने झारखंड की रचनाशीलता का उल्लेख करते हुए उपस्थित लेखकों से आह्वान किया कि वे अपने पुरखों को भी प्रकाश में लाएं, जिन्हें किसी कारणवश साहित्य के इतिहास में दर्ज नहीं किया जा सका है। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डा. रामदयाल मुंडा ने कहा कि साहित्य किसी खांचे की चीज नहीं है। उसे किसी सांचे में बांधना अनुचित है। साहित्य सबका होता है। संस्कृतिकर्मी और झारखंड के बौद्धिक अगुवा डा. बीपी केशरीनाटककार अशोक पागल पर केंद्रित उक्त पुस्तक पर सुधीर कुमार, डा. अशोक प्रियदर्शी, विद्याभूषण, दूरदर्शन के निदेशक डा. शैलेश पंडित आदि ने भी प्रकाश डाला। पुस्तक के लेखक डा. ब्रजकिशोर पाठक ने कहा, डा. केशरी के व्यक्तित्व में एक अजीब सरलता, विनम्रता और सृजनधर्मिता है। वहीं, अशोक पागल के नाटकों पर बात करते हुए कहा कि अशोकजी के लघुनाटक युगबोध से जुड़े होते हैं। कार्यक्रम का संचालन जनजातीय विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो गिरिधारी राम गौंझू ने किया। इस मौके पर अश्रि्वनी कुमार पंकज, अरविंद अविनाश, वंदना टेटे, भुवनेश्र्वर अनुज, राजाराम, मुकुंद नायक, श्री प्रकाश सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।

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