Friday 12 March, 2010

गुलाब की पंखुडियों के संग / अशोक लव



गुलाब की पंखड़ियों - सी कोमल
सुगन्धित
हृदय के कण-कण में समाहित ।
स्मृतियाँ!

प्रत्येक पंखुड़ी समेटे स्वयं में
अनेकानेक कथाएँ।
स्पर्श करते ही
आँखों के समक्ष तैरते
कितने-कितने दृश्य
कितने-कितने चेहरे!

प्रत्येक पंखुड़ी पर अंकित
भिन्न-भिन्न नाम
प्रत्येक पंखुड़ी पर अंकित
भिन्न-भिन्न आकृतियाँ !

स्मृतियाँ-विस्मृतियाँ !
किलकारियाँ !
उत्साह-उमंगें-ठहाके !
अश्रुकण!
संवेदनाएँ !
आशाएँ-निराशाएँ !
संघर्ष !
स्नेह-घृणा!
आकर्षण -विकर्षण !
क्या-क्या नहीं
इन पंखुड़ियों में !
फिर भी-
इन सबमें महकता जीवन !

कोमल सुगन्धित
पंखुड़ियाँ !
कोमल - सुगन्धित
भिन्न-भिन्न आकार ग्रहण करती
स्मृतियाँ !
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@ सर्वाधिकार- अशोक लव
१५ मार्च २०१०




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