*Purnima Varman*Anand Rai
"भाई साहब बहुत ही गहराई है। एक साथ कितने चेहरों से पर्दा उठा दिया. विश्वविद्यालयों में, समाज में या सियासत में जो कुछ हो रहा है, उसका नंगा सच. रिश्तों के टूटने की कशिश. एक बेचैनी. और सबसे बड़ी चीज मनुष्य के अन्दर की गहरी संवेदना, फोन कटते ही और घनीभूत हो जाती है. बधाई. "
*Rani Thompson
"मन रूंध गया। "
*Nira Rajpal
"दिखना कम हो गया है
अब पढ़ना - पढ़ाना छूटता जा रहा है।
तुम्हारी कविता वाली पुस्तक मिल गई है
समीक्षा भी लिख देंगे
एक लड़की आती है
पी एच डी कर रही है
बोल-बोलकर उससे लिखवा देंगे।
bahut hi reality base poem hai jisme dard ki saaf jhalak dikhayi deti hai"
*Rajeev Chhibber
"yahi zindagi ka sach hai aur marm bhi .ese hi likhte rahiye ashok ji mohyals bandook se ladna jante hain aur kalam se bhi ."
*Rakesh Naraian
"तुम्हारी भाभी ने आम का जो पेड़ लगाया था वह तेज़ आँधी से उखड़ गया है। वह तो चली गई कई बरस हो गए आम का पेड़ देखकर फल खाकर अच्छा लगता था अब और सन्नाटा पसर गया है
wah ..bhabhi ke lagaye aam ke ped ki ukhadne ki ghatna se aaj ki vastvik sthithi ka ahsas keraya aapne ..wah ...bahut hi gahan vedna se ggunthi hue ye panktiyan bahut kuch kah gayi..."
*Kuldeep Singh
"ashok sir
akhir kab tak vastvikta se munh churaya jaye
ek din to jwalamukhi bisfotit hona hi hai
dekhte hain vo sunahla waqt kab aaata hai "
*Ashoke Mehta
"यही हमारी नियति है ,जीवन की सच्चाई को बहुत सुंदर ढंग से आपने प्रस्तुत किया है !"
*Narinder Kumar Vaid "
"Aak kal ke satithi or jeewan ka ekdam sahi ucharan kiya hai aap ne.
*Manish Jain
"nice one."
*Rajesh bali
* Jenny Shabnam
"ashok ji,
aapki kavita itni saralta se behad gahri baat kah jati hai jo aam jiwan se judi hoti hai, behad tathyapurn abhivyakti in shabdon mein...
बाकी सब क्या कहें
कविता लिखना अलग बात है
ज़िंदगी जीना अलग बात है। "
bahut badhau aur shubhkamnayen"
*Abha Khetarpal
"bahut kuchh keh daalti hain hamesha apki panktiyan..."
*अशोक राठी
"बस एक ही बात कहूँगा सर... गागर में सागर ... साधुवाद "
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