Thursday, 8 July 2010
नहीं मरेगी टिन्नी?( लघुकथा ) / अशोक लव
प्रिय गौतम
उसे बचा सकूँगी नहीं जानती ? वह जिस स्थिति में है हर पल आशंका बनी रहती है , वह कहीं आत्महत्या न कर ले। उसे समझा-समझाकर परेशान हो चुकी हूँ। समझाने और समझने की सीमा होती है। वह केवल एक ही रट लगाए है निक्कू से विवाह करूंगी।
माँ का रो-रोकर बुरा हाल है। पिताजी उसके कहने पर निक्कू के माता-पिता से बातचीत करने गए थे। वह किसी भी हालत में अभी निक्कू का विवाह करने के लिए राज़ी नहीं हैं। वह अपनी जगह ठीक हैं। अभी एम बी ए करके कॉलेज से निकला ही है। घर का बड़ा बेटा है। पिता अकेले कमाते है। दो छोटी बहनें कालेज में पढ़ रही हैं। अभी उसकी पढ़ाई लिए लोन की किश्तें जा रहीं हैं।
मैंने निक्कू से बात की थी। उसका कहना है-" टिन्नी से उसकी दोस्ती भर है । कॉलेज में एक साथ पढ़ने , एक्टिविटिस में एक साथ भाग लेने का मतलब प्रेम होना नहीं होता। ठीक है वह सबसे खुलकर हँसता है, मज़ाक करता है, अपनापन जताता है । इसका यह अर्थ तो नहीं है कि वह सबसे प्रेम करने लगा है। क्लास में बाकी लड़कियाँ भी तो थीं। उसने टिन्नी को कभी अलग से इसका अहसास ही होने दिया कि वह उसके लिए ख़ास है। क्लास में जैसे लड़के-लड़कियाँ आपस में रहते हैं , उसके साथ ऐसे ही रहा है। मैंने कभी भी किसी भी तरह से उसे नहीं कहा कि वह मेरे लिए स्पेशल है। मेरी इतनी जिम्मेदारियाँ हैं। पिताजी को हाई ब्लड प्रेशर है । माँ शूगर पेशेंट हैं। बहनें पढ़ रहीं हैं। मेरा अपना करियर अभी शुरू हुआ है। यह लड़की पागल हो गई है। मेरे घर में अपने पिताजी को भेज दिया। मेरा तो मरण हो गया। मेरे फ्रेंड्स को ऑरकुट और फेसबुक पर तरह-तरह के मेसेज कर रही है। मैडम आप बताइए इसे मैं क्या कहूँ ?"
टिन्नी के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं है। कहती है -"निक्कू कभी न कभी तो विवाह करेगा ही। यह एक बार कह दे तो मैं दो-तीन-चार वर्ष तक भी रुक जाऊंगी। ठीक है इसने कॉलेज में कभी नहीं कहा कि वह मेरे साथ विवाह करेगा। पर हाव-भाव भी तो मायने रखते हैं। इसका यूं खुलकर मज़ाक करना , कैंटीन में मेरे साथ कॉफ़ी पीना ! कॉलेज फ्रेंड्स पिक्चर देखने गए तो यह मेरे साथ ही बैठा था। मैंने कितनी बार कहा था निक्कू जब विवाह करूंगी तो तेरे जैसे लड़के के साथ ही करूंगी। अब घर में मेरे विवाह की बात चली तो मैंने पिताजी से कह दिया। दीदी आप नहीं जानती मैं निक्कू से कितना प्यार करती हूँ। मैं इसके बिना जी नहीं सकती। आप देख लेना। मैं आत्महत्या कर लूंगी। प्यार किया है तो इसी के साथ ही जीऊँगी । निक्कू के बिना अपनी ज़िंदगी के बारे में मैं सोच भी नहीं सकती।"
गौतम, टिन्नी की जिद्द ने दो घरों का सुख-चैन छीन लिया है। निक्कू के माता-पिता परेशान हैं। यदि टिन्नी ने आत्महत्या के लिए निक्कू और उसके माता-पिता को ज़िम्मेदार लिखकर आत्महत्या कर ली तो उनका सारा परिवार तो जेल जाएगा ही।
टिन्नी का यह एकतरफा प्यार कैसा तूफ़ान लाएगा नहीं जानती। उसे ज़िंदगी में सिर्फ निक्कू ही दिखाई दे रहा है। मैंने हर तरह से प्रयास कर लिया है। वह नहीं जानती ब्लैकमेल करके किया गया विवाह कितने दिन चलेगा। निक्कू के पक्ष को देखें तो वह एकदम ठीक लगता है।
तुम आकर एक बार टिन्नी के माता-पिता की हालत देखोगे तो तुम्हारी आँखों में आँसू आ जाएँगे।
तुम टिन्नी को बचपन से जानते हो। शायद तुम्हारी बातों का असर हो ! मैं नहीं चाहती उसकी ज़िन्दगी इस तरह ख़त्म हो।
कल की फ्लाईट से आ जाओ।
तुम्हारी मित्र
आनंदिता ।
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@अशोक लव
यह मात्र लघुकथा है। इसका किसी के वास्तविक जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं है.
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