वर्षों बाद गूँज उठी दीवारें
गूँज उठे घर-बाहर के कोने- कोने
सन्नाटा ठहाकों में खो गया.
बच्चो तुम कहाँ थे
अभी तक ?
इन ठहाकों की तलाश में गुज़ार दिए
न जाने कितने -कितने वर्ष.
जाना मत यहाँ से अब
कहीं फिर से न पसर जाएँ सन्नाटे
यहाँ
चारों ओर.
............... *@अशोक लव
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