Wednesday, 28 July 2010

बच्चो जाना मत / अशोक लव


 वे आए
 वर्षों बाद गूँज उठी  दीवारें
गूँज उठे घर-बाहर के कोने- कोने 
सन्नाटा ठहाकों में खो गया.

बच्चो तुम कहाँ थे
अभी तक ?

इन ठहाकों की तलाश में गुज़ार दिए
न जाने कितने -कितने वर्ष.
जाना मत यहाँ से अब
कहीं फिर से न पसर जाएँ सन्नाटे 
यहाँ 
चारों ओर. 
............... *@अशोक  लव



No comments: