Wednesday, 17 September 2008

* नई पुस्तक : डॉ नीना छिब्बर का कविता- संग्रह "आकांक्षा की ओर "

सीधी बातें करती कविताएँ
__________________*अशोक लव
कविताएँ जीवन के अनुभवों की , भावनाओं की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति हैं। मन जितनी कल्पनाएँ कर सकता है , भावनाएं अनुभूतियों को जितनी गहनता से अनुभव करती हैं , कविता के स्वर उतने ही प्रभावशाली बनकर अभिव्यक्त होते हैं। कविता सीधे हृदय से संचरित होती है,हृदय के तारोंकी सुरमय अभिव्यक्ति कविता है। कवि के हृदय के भाव जितने गहन होते हैं , कविता उतनी गहन होती है।
डॉ नीना छिब्बर की कविताओं से गुज़रते समय यही लगा की कवयित्री ने जीवन - यात्रा के क्षण-क्षण जीवन्तता से जिए हैं। अनुभवों को संवेदनाओं के साथ शब्दों के आवरण में लपेटा है। यूँ अनुभव करना,भावनात्मक स्तर पर जीना पूर्णतया भिन्न होता है। कवयित्री ने इनमें सामंजस्य का प्रयास किया है।
" आकांक्षा की ओर " की कविताओं में कवयित्री की भिन्न भावों की कविताएँ संकलित हैं। लेखन से जुड़े उन्हें दशक से अधिक से अधिक हो गया है। प्रकाशन की दिशा में यह उनकी प्रथम कृति है। उनकी लेखन प्रतिभा का परिचय मुझे संपादक के रूप में हुआ था। "मोहयाल मित्र " पत्रिका का संपादन करते दो दशक से अधिक हो गए हैं । इसके लिए उनकी रचनाएँ आने लगीं तो लगा की इस लेखिका / कवयित्री में गाम्भीर्य है। भावों को कलमबद्ध करने की क्षमता है। उनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित कीं। इसी के साथ उनके साथ संपर्क हुआ और संबंधों में पारिवारिकता आती चली गई।
उनकी कविताएँ सहज हैं। एकदमआम बोलचाल की भाषा में लिखी गई हैं। कहीं दुरूहता नहीं है। साहित्यिक मानदंडों के संसार से दूर डॉ नीना छिब्बर जो अनुभव करती हैं उसे सहजता से कविता का रूप देती चली जाती हैं। इसलिए इनमें विषय-वैविध्य है। प्रेम है तो संघर्ष भी है। हृदय पक्ष प्रबल है तो कहीं बुद्धि का आश्रय लेती भी दिखाई देती हैं।
आए हो तुम यह कहा जब किसी ने
आँखें भर आईं मुद्दत के बाद
विरहाग्नि में दग्ध कवयित्री का हृदय मिलन की अनुभूति मात्र से सिहरित हो उठता है और अश्रु आंखों को भिगो देते हैं। 'मुद्दत के बाद ' श्रृंगार रस की श्रेष्ठ कविता है। 'प्रतीक्षा' में भी कवयित्री प्रेम भाव में डूबी है। कलियाँ, बादल, बिजली, धरती, आकाश- इन प्रतीकों के माध्यम से कवयित्री अपनी विरह वेदना अभिव्यक्त करती है। प्रियतम के आने के संदेश की प्रतीक्षा करते हुए वे कहती हैं-
इस मौसम में ठंडी लहरों जैसी बरखा
मुझको छूकर तेरे प्रणय का संदेश दे जाती है
तभी तो कब से खिड़की पर बैठी करती हूँ प्रतीक्षा।
कवयित्री ने माँ ,बेटियों और नारियों पर श्रेष्ठ कविताएँ लिखी हैं । इनके माध्यम से नारी के जीवन का संघर्ष उभरकर आया है। स्वयं नारी और माँ होने के कारण इन कविताओं के स्वर विशिष्टता लिए हैं। 'बेटियाँ' कविता की ये पंक्तियाँ -
बेटियाँ होती हैं छुई- मुई का पौधा
जो स्पर्श ही नहीं , नज़रों की चमक से शरमा जाती हैं
अथवा
बूढी माँ अपनी आंखों से रात भर
खून और जल के आंसू पीती है।
इनमें एक ओर ममत्व छलकता है तो दूसरी ओर वृद्धा की पीडाएं मन को भिगो देती हैं।
कवयित्री की रचनाएँ उनके कवित्व की संभावनाएं समेटे हैं। हिन्दी साहित्य को समर्पित यह उनका प्रथम पुष्प कवि-हृदयों को सुगन्धित करेगा। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। आशा है वे निरंतर सृजनरत रहेंगी और हिन्दी साहित्य को श्रेष्ठ कृतियों से समृद्ध करेंगी। **
* डॉ नीना छिब्बर , ६५३/ ,चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड , जोधपुर (राज )
फ़ोन 0291-2712798

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