Wednesday, 10 September 2008

चिरैया


नन्हीं चिरैया
चोंच में तिनका दबाये
डोलती है
इधर से उधर
उधर से इधर
वृक्ष की फुनगियों पर।

एक ही दिन में नहीं सीख लिया था
चिरैया ने गाना-झूमना
उसने सीखा था पहले
उड़ना
अपने पंखों से उड़ना ।

वह नहीं चढी फुनगियों पर
सीढियों के सहारे
इसीलिये मस्त गाती है
झूलती है
झूमती है।

( पुस्तक: अनुभूतियों की आहटें)

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