Monday, 10 November 2008

ठूंठ / * अशोक लव




मौसम बदला है
ठूंठ देखने लगा है
सपने वसंत के ,
सपने हरियाली के
भूल गया है
भीतर तक सूख चुके भावों में
हरियाली नहीं उगती
ठूंठ के लिए
सभी मौसम
एक से होते हैं।
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"अनुभूतियों की आहटें" से

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