लहरों को सौंप दिया है कामना - दीप
जहाँ चाहें ले जाएँ
उन्हीं पर आश्रित है अब तो कामना - दीप का अस्तित्व।हथेलियों में रखकर सौंपा था लहरों को कामना - दीप बहाकर ले जाने के लिए अपने संग मंद-मंद हिचकोले खाताबढ़ता जाता है लहरों के संग । कामना - दीप का भविष्य होता है लहरों के हाथ ज़रा - सा प्रवाह तेज़ होते ही डोलने लगता है और अंततः समां जाता है लहरों में। कामना-दीप -सा समां जाना चाहता हूँ सदा-सदा के लिए तुम्हारे हृदय की स्नेहिल लहरों में । ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~* पुस्तक - " लडकियां छूना चाहती हैं आसमान " ( प्रेम खंड )
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