शब्द - सामर्थ्य / * अशोक लव
मेरे पास शब्द हैं लिखते हैं शब्द नंगे पर्वतों पर बर्फ़ के गीत । शब्द तैरते हैं सागर के अंतर्मन के स्पंदनों के संग शब्द पढ़ आते हैं नयनों में तैरते प्रेम , स्वप्न । यही शब्द जाते हैं डूब जब तेजाब में तड़क जाती हैं चट्टानी व्यवस्थाएं । मत छीनो मुझसे आकाश, धरती,पवनगाने दो मुझे शब्दों से रचे मिट्टी के गीत। _______________________मेरा कविता संग्रह - अनुभूतियों की आहटें
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