Saturday, 15 November 2008

तुम्हारे आगमन के पश्चात् / * अशोक लव




। । एक । ।
यूँ ही रख दिया
चांदनी बयार ने अपना हाथ
अमलतास के कन्धों पर
पीले फूलों से भर गया अमलतास
महक उठा चंदन- सा
कल तक था जो उदास
आज खिल उठा ।

। । दो । ।
अंधेरे जंगलों में
रूखा- रूखा खड़ा था बांस
बढ़े दो हाथ
तराशा - संवारा
अधरों से लगाया
बज उठा बांस।

। । तीन । ।
पुस्तकों के पृष्ठों में
बंद थे शब्द
कोमल उँगलियों ने खोल दी जंजीरें
पुस्तकों से निकल आए शब्द
अधरों ने गुनगुनाये
गीत बन गूँज उठे शब्द।
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पुस्तक- लडकियां छूना चाहती हैं आसमान ( प्रेम खंड )

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