। । एक । ।
यूँ ही रख दिया
चांदनी बयार ने अपना हाथ
अमलतास के कन्धों पर
पीले फूलों से भर गया अमलतास
महक उठा चंदन- सा
कल तक था जो उदास
आज खिल उठा ।
। । दो । ।
अंधेरे जंगलों में
रूखा- रूखा खड़ा था बांस
बढ़े दो हाथ
तराशा - संवारा
अधरों से लगाया
बज उठा बांस।
। । तीन । ।
पुस्तकों के पृष्ठों में
बंद थे शब्द
कोमल उँगलियों ने खोल दी जंजीरें
पुस्तकों से निकल आए शब्द
अधरों ने गुनगुनाये
गीत बन गूँज उठे शब्द।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पुस्तक- लडकियां छूना चाहती हैं आसमान ( प्रेम खंड )
No comments:
Post a Comment